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अम्बेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) एआरटीओ कार्यालय भ्रष्टाचार के सबसे बड़े अड्डा बना हुआ हैं। वाहनों की फिटनेस से लेकर परमिट जारी करने तक के कार्य बिना रिश्वत के संभव नहीं होते। कई कार्यालयों में एंटी करप्शन द्वारा भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है, परंतु उसके बावजूद इन कार्यालयों के भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आई है। मिली जानकारी के अनुसार हर काम के लिए एजेंट अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर एआरटीओ अधिकारी व बाबू को कमीशन देकर हर काम कराया जा रहा है। वहीं एआरटीओ कार्यालय के बाहर ऑनलाइन के नाम पर सैकड़ों एजेंट अपनी दुकान खोलकर बैठे हैं और लोगों को लूट रहे हैं।गौरतलब है कि एआरटीओ दफ्तर से संबंधित हर काम के लिए लोगों को एजेंट का सहारा लेना पड़ रहा है बिना एजेंट के किसी भी प्रकार का कार्य होना संभव नहीं है ऐसा कहा जाता है। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ मीडिया लगातार कैंपेन चला रही है। एआरटीओ ऑफिस में ‘कंबल ओढकर घी पीने’ जैसी कहावत को जिम्मेदार अधिकारी चरितार्थ कर रहे हैं। विभाग में कमीशन खोरी चरम पर है। इस पर रोक लगाने की बजाए वे और बढ़ावा दे रहे हैं।भूमिगत हुए दलाल एक बार फिर से सक्रिय हो चुके हैं।यह बात और है कि दलाल अब खुलकर काम कर अपना नैटवर्क चला रहे हैं। इन दलालों ने अपने पुराने ठिकानों को बंद कर दिया है। इसके बावजूद उनके पुराने ग्राहक उन तक पहुंच ही जाते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाहनों के कागजात बनवाने में रिश्वत का बड़ा खेल चलता है। बड़े ट्रांसपोर्टरों को कागजात बनवाने के लिए रिश्वत देनी ही पड़ती है। अगर कोई बिना रिश्वत के कागजात बनवाने के प्रयास करता है तो उसके लिए यह काम आसान नहीं होता। उसे किसी न किसी बहाने से बार-बार चक्कर लगवाए जाते हैं।आखिरकार परेशान आदमी या तो उन्हें सीधे रिश्वत देने को तैयार हो जाता है या फिर दलालों का सहारा लेता है। कमर्शियल वाहनों की पासिंग हर साल होती है।पासिंग में भी रिश्वत का खेल जमकर चलता है। मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर वाहनों की जांच के बाद फाइल संबंधित ए आर.टी.ओ . कार्यालय को भेज देते हैं। इसके बाद ए आर.टी.ओ . कार्यालयों के कर्मचारी अपना खेल शुरू कर देते हैं। कमर्शियल वाहनों की पासिंग हर साल होती है। यह भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए दुधारू गाय की तरह साबित होता है। इन कार्यालयों के भ्रष्टाचार पर काबू पाना आसान काम नहीं है। ए आर टी ओ ऑफिस में कार्य करवाने के लिए आए कुछ व्यक्तियो द्वारा बताया गया की ऑनलाइन होने के पश्चात भी एआरटीओ ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ता है। जहां पर हम लोगों को ऑनलाइन से सुविधा मिलनी चाहिए थी वहां आप उतना ही कष्टकारी हो चुका है अधिकांश समय तो सरवर ही डाउन रहता है जिससे ऑनलाइन से लेकर ऑफिस के कार्य भी नहीं हो पाए 50 किलोमीटर दौड़ने के बाद फिर लौटकर वापस जाना पड़ता है।