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अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) डग्गामार बसों का जाल परिवहन निगम को कंगाल कर रहा है। बांसी से गाजियाबाद नोएडा आनन्द विहार के लिए सैकड़ों डग्गामार बसें दौड़ रहीं हैं। इन बसों के खिलाफ अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। चौकी और थानों के सामने से यह बसें खूब फर्राटे भर रहीं हैं।चल रहीं डग्गेमार बसें महीने में करोड़ों रुपये का नुकसान कर रही हैं। इन बसों को बड़ी चालाकी के साथ चलाया जा रहा है। शहर के अंदर यह बसें प्रवेश नहीं करती हैं। बाईपास से सवारियों को ढोते हुए निकल जाती हैं, जिससे कोई विरोध भी नहीं करता। बसों में नंबर का भी खेल हो रहा है।परिवहन विभाग के अधिकारियों की साठगांठ से जिले में डग्गामार बसें सैकड़ों की संख्या में घूम रहीं हैं। सुबह से रात तक यह बसें सवारियां ढो रहीं हैं, लेकिन अधिकारियों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई है। यही कारण है कि अवैध एवं डग्गामार बसों का जाल कई जिलों में फैला हुआ है। प्रतिदिन तीनों मार्गों पर यह बसें परिवहन निगम को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा रही हैं। महीने में कई करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। आनन्द विहार की सीमा तक मार्ग पर चौकी और थाने पड़ते हैं। यह भी क्षतिग्रस्त और डग्गामार बसों को नहीं रोकते हैं। इससे इनके हौसले और ज्यादा बुलंद रहते हैं। दिनभर यह बसें सवारी ढोती हुई मिल जाएंगी। जबकि हाईवे पर यह बसें सवारी नहीं ढो सकती हैं। यही नहीं इन बसों पर लगेज कच्चे बिल पर लड़े जाते हैं और यह दिल्ली से लाकर सीधे आजमगढ़ तक बिना मालिक के पहुंचाते हैं जिससे आयकर विभाग को भी चूना लगाया जा रहा है परंतु आयकर विभाग भी आंख बंद किए हुए पड़ा है। लेकिन सबसे अहम बात प्रश्न यह होता है उठना है की आजमगढ़ से लेकर दिल्ली तक यह एआरटीओ और पुलिस की निगाह से कैसे बचकर निकलते है।अंबेडकरनगर जनपद में नवागत एआरटीओ सत्येंद्र सिंह यादव द्वारा की गई कार्यवाही मे UP 75AT4122 एक बस का जिसका पंजीयन जो आजमगढ़ से दिल्ली के लिए संचालित हो रही थी जिस पर ए आरटीओ द्वारा एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया तथा दूसरे वाहन जिसका पंजीयन नंबर UP 75M55 को पकड़ा जिसमें कागजात फेल होने के कारण ₹60000 का जुर्माना लगाया गया।
नवागत एआरटीओ के द्वारा लगातार की जा रही कार्यवाही से यह आशा लोगो में उत्पन्न हो रही है की अवैध रूप से संचालित होने वाले वाहनों पर नकेल कसी जा रही है। परंतु यही एक प्रश्न यह भी उठना है क्या यह आरटीओ अंबेडकर नगर लखनऊ संचालित होने वाले बसों पर शिकंजा लगा पाएंगे या तो आने वाला समय ही बताएगा कहीं ऐसा ना साबित हो की दिखावे के ही लिए शुरुआती दौर में कार्यवाही की जाती है या फिर से गाड़ियां अपने पूर्व की भांति से संचालित होना शुरू हो जाएंगे।