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अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) लगभग दस लाख रुपये की लागत से निर्मित पशु चिकित्सा केंद्र महज शो पीस बनकर रह गया है। तीन वर्ष पूर्व बने इस पशु अस्पताल में अब तक न तो चिकित्सक और न ही अन्य स्टाफ की तैनाती हो सकी है। नतीजा यह है कि मौजूदा समय में देखरेख के अभाव में जहां खिड़की दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए हैं तो वहीं चारों तरफ बड़ी-बड़ी जंगली घास उग आई है।तहसील क्षेत्र टांडा के मखदूम सराय गांव में लगभग तीन वर्ष पहले पशु चिकित्सा केंद्र की स्थापना हुई थी। इससे संबंधित क्षेत्र के पशुपालकों ने राहत की सांस ली। दरअसल उन्हें पशुओं को इलाज व टीकाकरण के लिए दूरदराज स्थित पशु अस्पताल या फिर निजी अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ता था।शुरुआती कुछ दिनों में तो इल्तिफातगंज स्थित पशु चिकित्सा केंद्र में तैनात डॉ. पंकज ने वैकल्पिक प्रबंध के तहत संबंधित अस्पताल पहुंचकर पशुओं का इलाज किया। कुछ दिन बाद यह व्यवस्था भी खत्म हो गई। इसके बाद से अब तक न तो संबंधित अस्पताल में चिकित्सक की तैनाती की जा सकी है और न ही अन्य स्टाफ की।देखरेख न होने से जगह जगह दीवारों व छत के प्लास्टर उखड़ने लगे हैं तो वहीं चारों तरफ बड़ी-बड़ी जंगली घास उग आई है। नतीजा यह है कि इस अस्पताल का लाभ अमेदा, ओदरा, चांदपुर, बभनपुरा, सहरपुर, सलाहुद्दीनपुर, गोवर्धनपुर, मोतीपुरा, वीरसिंहपुर समेत एक दर्जन गांव के पशुपालकों को तगड़ा झटका लगा।पशुपालक अशोक कुमार, राजेंद्र, कृष्ण कुमार, राजितराम, ओमप्रकाश, मनोज कुमार ने कहा कि संबंधित अस्पताल का संचालन न होने से पशुओं को निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ता है। उधर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी नरेंद्र सिंह ने बताया कि चिकित्सक, कंपाउंडर, फार्मासिस्ट व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की तैनाती के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है।