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देश की 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं. 400 पार का नारा जपने वाला NDA 300 पार भी नहीं पहुंच पाया है. 292 सीटों के साथ एनडीए को इस बार संतोष करना पड़ा है।
वहीं दूसरी तरफ INDIA ब्लॉक ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 234 सीट पर चुनावी जीत दर्ज की है. ऐसे में सरकार बनाने को लेकर दोनों ही गठबंधन दावा पेश करने में जुटे हैं. हालांकि इंडिया गठबंधन की राह बहुत मुश्किल है कांग्रेस के शीर्ष नेता पहले ही अपने बयानों में कह चुके हैं किस जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का मेंडेट दिया है तो हम विपक्ष में ही बैठेंगे. लिहाजा सारा ध्यान एनडीए की सरकार बनने पर है. हालांकि यहां पर भी पेंच कम नहीं है. बीजेपी इस बार पूर्ण बहुमत नहीं ला पाई है ऐसे में अगर गठबंधन में से टीडीपी जेडीयू ने हाथ खींच लिया तो एनडीए की सरकार बनना भी मुश्किल हो जाएगा.
नीतीश पहुंचे दिल्ली दिया बड़ा बयान
इस बीच नीतीश कुमार बिहार से निकलकर दिल्ली पहुंच चुके हैं. जेडीयू ने इस लोकसभा चुनाव में 12 सीटों पर जीत दर्ज की है चुनाव से ठीक 6 महीने पहले ही बीजेपी के साथ जेडीयू का गठबंधन हुआ है. ऐसे में अल्प समय के इस गठबंधन को लेकर राजनीतिक दलों के साथ विश्लेषक भी कयास लगा रहे हैं कि अतीत की राह पर नीतीश चले तो गठबंधन से पलटना कोई बड़ी बात नहीं है. यही वजह है कि हर किसी की निगाह नीतीश कुमार पर टिकी है.
– एक ही फ्लाइट से दिल्ली जा रहे नीतीश-तेजस्वी, बढ़ी सियासी हलचल
सरकार तो बनेगी
नीतीश कुमार ने दिल्ली पहुंचने पर अपनी पहली प्रतिक्रिया भी दे ही डाली. उनका पहला बयान ही सस्पेंस के साथ खत्म हुआ. तेजस्वी के साथ एक ही फ्लाइट में दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार से जब पूछा गया है कि क्या फैसला लेंगे तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि ‘सरकार तो बनेगी.’
नीतीश कुमार का ये बयान निश्चित रूप से हर किसी के लिए सस्पेंस बनाने वाला है कि सरकार तो बनेगी ये तो सभी जानते हैं लेकिन किसकी बनेगी एनडीए या फिर इंडिया गठबंधन की. क्योंकि दोनों ही सरकारें इस बार जोड़ तोड़ के साथ ही बन सकती है ऊंच (सहयोगी दल) किस करवट बैठेंगे इस पर ही सबकुछ निर्भर करेगा.
TDP का क्या स्टैंड
दूसरी तरफ एनडीए की सरकार बनाने में टीडीपी भी बड़ा रोल निभाने वाली है. यही कारण है कि टीडीपी के स्टैंड पर भी सबकी निगाहे टिकी हुई हैं. हालांकि तदपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ये कहचुके हैं कि वह एनडीए का ही हिस्सा हैं आगे भी रहेंगे. लेकिन राजनीति में कोई स्थायी नहीं होता. राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर एनडीए टीडीपी के मनचाहे मंत्रालय मांगों को पूरा करने में सहमत नहीं हुई तो उनको पलटने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।