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NEET UG 2024 और UGC NET 2024। परीक्षाओं में कथित अनियमितता को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच केंद्र सरकार ने एंटी-पेपर लीक कानून (Anti-Paper Leak Law) यानी पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 लागू कर दिया है।
21 जून 2024 से प्रभाव में आया यह कानून इसी साल फरवरी में संसद से यह कानून पारित हुआ था. इससे पहले, केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों के पास परीक्षाओं में गड़बड़ी से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए अलग से कोई ठोस कानून नहीं था. नए अधिसूचित अधिनियम में सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-समझौता योग्य बनाया गया है. डीएसपी (पुलिस उपाधीक्षक) या एसीपी (सहायक पुलिस आयुक्त) रैंक का अधिकारी अधिनियम के तहत किसी भी अपराध की जांच कर सकता है. इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार के पास किसी भी जांच को केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की शक्ति है.
एंटी-पेपर लीक कानून 2024: 15 अपराध
1. किसी परीक्षा का क्वेश्चन पेपर या उत्तर कुंजी (Answer Key) लीक करना.
2. प्रश्न पत्र या आंसर-की लीक करने में किसी के साथ शामिल होना.
3. बिना परमिशन क्वेश्चन पेपर या OMR शीट अपने पास रखना.
4. अनधिकृत संचार के माध्यम से परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों की सहायता करना
5. कंप्यूटर नेटवर्क या अन्य उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करना.
6. प्रॉक्सी उम्मीदवार बैठाना यानी किसी सॉल्वर को कैंडिडेट की जगह परीक्षा दिलवाना.
7. फर्जी एडमिट कार्ड जारी करना.
8. फर्जी परीक्षा आयोजित कराना.
9. परीक्षा सूची या रैंक को लेकर नकली दस्तावेज जारी करना.
10. योग्यता दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करना.
11. कॉपियों के मूल्यांकन में बिना परमिशन छेड़छेाड़ करना.
12. परीक्षार्थी की सीट अरेंजमेंट, एग्जाम डेट या शिफ्ट में छेड़छाड़ करना.
13. किसी एग्जामिनेशन अथॉरिटी को धमकाना या काम में बाधा पैदा करना.
14. पब्लिक एग्जाम के लिए तय सिक्योरिटी मानकों का उल्लघंन करना.
15. अधिनियम में परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी को समय से पहले सार्वजनिक करना.
एंटी-पेपर लीक कानून 2024: क्या-क्या सजा हो सकती है?
- पब्लिक एग्जाम में ‘अनुचित साधनों’ का उपयोग करने वालों को 3-5 साल की कैद और ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- जिस परीक्षा केंद्र पर अनुचित व्यवहार पाए जाते हैं, वहां परीक्षा आयोजित करने के लिए नियुक्त किए गए सर्विस प्रोवाइडर पर ₹1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- अनधिकृत संचार के माध्यम से परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क या अन्य उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करने पर परीक्षा की आनुपातिक लागत भी ऐसे सर्विस प्रोवाइडर से वसूल की जाएगी, और उन्हें 4 साल तक किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.
- सेवा प्रदाता इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों (निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन, प्रभारी व्यक्ति) को भी तीन से दस साल की जेल की सजा और ₹1 करोड़ तक का जुर्माना देना होगा, अगर वे अनुचित व्यवहार को बढ़ावा देने की किसी योजना का हिस्सा पाए जाते हैं.
- अगर कोई व्यक्ति या समूह, जिसमें सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण और सेवा प्रदाता शामिल हैं, परीक्षा के संचालन के संबंध में कोई संगठित अपराध करते पाए जाते हैं, तो उन्हें 5 से 10 साल की कैद और कम से कम ₹1 करोड़ का जुर्माना देना होगा.
- अगर कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह कोई संगठित अपराध करता है, जिसमें परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था, सेवा प्रदाता, या कोई अन्य संस्थान शामिल है, तो उन्हें कम से कम 5 साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है. सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी.
- अधिनियम में परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी को समय से पहले सार्वजनिक करने और परीक्षा केंद्रों में अनधिकृत लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है, इन अपराधों के लिए तीन से पांच साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
अभ्यर्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा
एंटी-पेपर लीक कानून 2024 के तहत विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इसमें संगठित अपराध, माफिया और साठगांठ में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है. हालांकि परीक्षा गड़बड़ी मामले में अगर किसी अभ्यर्थी का नाम सामने आता है तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा. उस अभ्यर्थी के खिलाफ परीक्षा आयोजित करा रही एजेंसी या आयोग द्वारा लागू नियमों के तहत कार्रवाई की हो सकती है.
इन सभी परीक्षाओं पर लागू होगा एंटी-पेपर लीक कानून
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित सभी कंप्यूटर-आधारित परीक्षाएं इस अधिनियम के अंतर्गत आती हैं.