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लैंगिक असमानता के कारण अवसरों में भी असमानता उत्पन्न होती है। जिसके दोनों ही पक्ष प्रभावित होते हैं परंतु इस भेदभाव का सबसे अधिक प्रभाव लड़कियों पर पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार विश्व स्तर पर जन्म के समय लड़कियों के जीवित रहने की संख्या, उनके विकास की व्यवस्था उनकी शिक्षा की व्यवस्था की दर उच्च स्तर की है। इसी तुलना में भारत में लड़कों की तुलना में लड़कियों की मृत्यु दर अधिक है, उनके विकास की स्थितियां बहुद अच्छी नहीं एवं शिक्षा में भी प्रायः भेदभाव देखने को मिलता है। समाज में लिंग भेद की स्थिति को समाप्त करने के लिये एवं सभी के लिये समान अवसर बनाने के लिये हमें कन्याओं को भी महत्व देना होगा, पुरूष एवं महिला दोनों को संगठित रूप से मिलकर चलना होगा, समाज की धारणा व सोच में बदलाव लाना होगा, कन्याओं के लिये शिक्षा, कौशल, विकास के साथ-साथ सुरक्षा की व्यवस्था भी करनी होगी तभी हम देश के विकास में उनकी उचित भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे। लड़कियों को आधारित कर बनाई गई दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है जिससे उनके जीवन में संभावनयें उत्पन्न की जा सकें। तथा उन्हे एक ऐसा प्लैटफार्म उपलब्ध कराना होगा जहां वे अपनी चुनौतियों को साझा करें साथ ही उन चुनौतियों के लिये विकल्प तलाश करें जिससे की उनका भविष्य अधिक बेहतर बन सके।