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- दैनिक केसरिया हिंदुस्तान अखबार के अयोध्या मंडल ब्यूरो चीफ रविन्द्र वर्मा ने दायर की है जनहित याचिका
- जनहित याचिका में अम्बेडकर नगर के जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के नाजिर रहे वीरेंद्र सिंह चौहान है पक्षकार
अम्बेडकर नगर।(आशा भारती नेटवर्क) जनपद के विकास विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की निरंतर खबरें प्रकाशित करने के बाद भी विभाग द्वारा भ्रष्ट कर्मचारियों/अधिकारियों के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई न किए जाने से क्षुब्ध होकर दैनिक केसरिया हिंदुस्तान समाचार पत्र के अयोध्या मंडल ब्यूरो चीफ रविन्द्र वर्मा ने माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में जनहित याचिका दायर कर जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के नाजिर रहे वीरेंद्र सिंह चौहान जो रिश्वत लेने के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार होकर जेल गए थे सभी को पक्षकार बनाया। जिसकी सुनवाई करते हुए दिनांक 29 जुलाई 2024 को माननीय उच्च न्यायालय ने माना कि यह जनहित याचिका केवल ग्राम्य विकास विभाग में भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए दायर की गई है। याचिकाकर्ता दैनिक केसरिया हिंदुस्तान के पत्रकार हैं। जिला विकास अधिकारी अंबेडकर नगर का वरिष्ठ सहायक वीरेंद्र सिंह चौहान को निलंबित ग्राम विकास अधिकारी विनोद कुमार गुप्ता से 10,000/- रुपये की रिश्वत लेते समय एंटी करप्शन की टीम द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया था।
इसके संबंध में भ्रष्टाचार निवारण संगठन अयोध्या इकाई द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)(बी), 13(2) के अन्तर्गत मुकदमा अपराध संख्या 03/2023 में दर्ज किया गया। तत्पश्चात नाजिर वीरेंद्र सिंह को जेल भेज दिया गया तथा दिनांक 16.03.2024 को निलम्बित कर दिया गया। रिट याचिका में मुख्य विकास अधिकारी अनुराग जैन और जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार तिवारी की संलिप्तता के संबंध में कई कथन किए गए हैं। प्रकरण में निलंबित एवं भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए वरिष्ठ सहायक नाजिर वीरेंद्र सिंह चौहान को पहले से चल रही आपराधिक कार्यवाही के अलावा अनुशासनात्मक कार्यवाही पूर्ण करने की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना, उसे बहाल कर दिया गया है। इसलिए याचिकाकर्ता ने उपरोक्त प्रार्थना के साथ जनहित याचिका दायर किया। याचिकाकर्ता के आरोप तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी और जिला विकास अधिकारी तथा जिला विकास अधिकारी के कार्यालय में कार्यरत वरिष्ठ सहायक/स्थापना लिपिक के खिलाफ हैं। रिट याचिका मे माननीय उच्च न्यायालय ने मुख्य विकास अधिकारी अंबेडकर नगर को निर्देश दिया कि वे इस आदेश
की प्रमाणित प्रति उनके समक्ष प्रस्तुत किए जाने की तिथि से दो महीने की अवधि के द्वारा विनोद कुमार गुप्ता ग्राम विकास अधिकारी द्वारा प्रस्तुत दिनांक 25.04.2024 के अभ्यावेदन पर तर्कपूर्ण और स्पष्ट आदेश जारी कर कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद यह उम्मीद जगी है कि विकास विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार से कुछ तो लगाम लगेगी। पूरा भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा यह कहना अभी उचित नहीं है। परंतु जब से यह आदेश हुआ है तब से विकास विभाग के अधिकारियों खासकर जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार तिवारी के चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई है। क्योंकि पूरे भ्रष्टाचार के सूत्रधार जिला विकास अधिकारी ही रहे हैं। जिला विकास अधिकारी द्वारा ही भ्रष्टाचार के आरोप में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए और जेल काटने वाले कर्मचारियों को बिना अनुशासनात्मक कार्रवाई किए हुए बड़ी तत्परता से बहाली आदेश जारी करके उसको कार्यभार भी दे दिया गया। जिससे आम जनमानस की इस आशंका को बल मिला कि वीरेंद्र सिंह चौहान ने रिश्वत में जो 10000 की धनराशि की मांग की थी वह जिला विकास अधिकारी के लिए ही थी। अन्यथा किसी के कर्मचारी के रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार होने के बाद जमानत पर आने के इतनी जल्दी बहाली आदेश जारी नहीं होता। विनोद गुप्ता तो निलंबन आदेश के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लाने के बाद भी 20 दिन तक बहाल नहीं हो सके। और बहाली आदेश जारी होने के 4 महीने के बाद उनको ग्राम पंचायत का प्रभार मिला। जिससे सिद्ध होता है कि जिला स्तर पर अधिकारी सब कुछ पैसे के लालच में ही करते हैं जिनको भ्रष्टाचार की कमाई में से हिस्सा मिल जाता है वह आंख बंद कर लेता है जिसे हिस्सा नहीं मिलता वह कार्रवाई करने लगता है। विभागीय कार्यवाही के जानकारों तथा कानूनी जानकारों का मानना है कि प्रकरण में वीरेंद्र सिंह चौहान को फिर से निलंबित करके अनुशासनिक कार्यवाही के अंतर्गत आरोप पत्र जारी कर स्पष्टीकरण प्राप्त किए जाने के उपरांत मामले से संबंधित गवाहों का परीक्षण कर जांच अधिकारी से जांच आख्या प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की जा सकेगी क्योंकि यह ध्रुव सत्य है की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार अभियुक्त को कौन सा जांच अधिकारी अपनी जांच आख्या में निर्दोष साबित करेगा।