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अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में विवेचना में पुलिस की एक और मनमानी सामने आई है। फाइनल रिपोर्ट में पुलिस ने कहा है कि युवक की गंभीर रूप से पिटाई उसके एक परिचित ने आजमगढ़ में की थी। विवेचना में हैरान करने वाली बात यह है कि पिटाई के बाद युवक आरोपी को पकड़वाने के लिए आजमगढ़ पुलिस के पास नहीं बल्कि सीधे अंबेडकरनगर स्वाट टीम के पास आ गया। पुलिस की विवेचना में यह विरोधाभास विवेचक व आरोपी पुलिस कर्मियों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं।तीन वर्ष पहले पुलिस हिरासत में आजमगढ़ के एक युवक जियाउद्दीन की मौत को लेकर पुलिस की फाइनल रिपोर्ट सीजेएम सुधा यादव ने यूं ही निरस्त नहीं की। स्वाट टीम प्रभारी व सात सिपाहियों पर दर्ज हत्या व अपहरण के मुकदमे में विवेचक ने पुलिस कर्मियों के पक्ष में जो फाइनल रिपोर्ट भेजी थी उसमें एक और मनमानी अब सामने आई है। विवेचक ने लिखा कि कमर नामक एक व्यक्ति ने जियाउद्दीन को मछली मारने व पैसे के लेनदेन के विवाद में मारा पीटा था, इसमें ही घायल होने के चलते उसकी बाद में मौत हो गई।विवेचना में पुलिस खुद को बचाने के लिए यहीं तक सीमित नहीं रही। आगे लिखा गया कि गंभीर पिटाई के बाद कमर को गिरफ्तार कराने के लिए जियाउद्दीन अंबेडकरनगर पहुंचा और स्वाट टीम से मिला। यहां कुछ देर बाद उसकी तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया, वहां उसकी मौत हो गई। पुलिस का यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा। दिवंगत के भाई शहाबुद्दीन कहते हैं कि विवेचक को कोर्ट में यह जवाब देना होगा कि उनके भाई की पिटाई यदि आजमगढ़ में हुई तो वे अंबेडकरनगर पुलिस से शिकायत करने क्यों आ गए। पुलिस जिस कमर नामक व्यक्ति का उल्लेख कर रही है वह भी आजमगढ़ का निवासी था। ऐसे में जियाउद्दीन को आजमगढ़ पुलिस से संपर्क करना चाहिए था। पुलिस की यह फर्जी कहानी कोर्ट में टिकेगी नहीं।
अनसुलझे हैं यह भी तथ्य
पुलिस का कहना है कि जियाउद्दीन दुरवासा धाम स्थित मझुई नदी में मछली मारने गया था। वहीं निजामाबाद निवासी कमर ने लाठी-डंडों से उसकी पिटाई कर दी थी। अब पुलिस के इस तर्क को खारिज करते हुए शहाबुद्दीन कहते हैं कि हमारे घर से धाम की दूरी लगभग 20 किमी है। इतनी दूर जाकर कौन मछली मारता है। मेरे भाई तो लकड़ी का काम करते थे। कभी कभार खाने के शौक के लिए आम लोगों की तरह नजदीक के नालों व तालाबों से मछली ले लेते थे। वह साइकिल से ही चलते थे, यह पूरा क्षेत्र जानता है। ऐसे में पुलिस का यह तर्क पूरी तरह फर्जी है। उन्होंने कहा कि यदि धाम के निकट कमर ने ही मेरे भाई की पिटाई की तो पुलिस यह साबित करे कि कमर के मोबाइल की लोकेशन भी मेरे भाई की लोकेशन के साथ वहां पर थी। शहाबुद्दीन ने यह भी सवाल खड़ा किया कि मेरे भाई की यदि आजमगढ़ में इतनी निर्मम पिटाई की गई थी कि वह मरणासन्न हो गया तो फिर आजमगढ़ से अकेले चलकर अंबेडकरनगर तक कैसे आ गया। पुलिस ने विवेचना में खुद लिखा है कि उसने यहां आकर मदद मांगी। शहाबुद्दीन कहते हैं कि विवेचना का एक एक बिंदु अन्याय व मनमानी से भरा है। इन सब बिंदुओं को जज के सामने रखा जाएगा। हाईकोर्ट भी लेकर हम सब यह मामला जाएंगे। पुलिस वालों ने मेरे भाई की हत्या की है। उन्हें बचाने वालों को भी हम सब छोड़ने वाले नहीं हैं। अंतिम दम तक उन्हें सजा दिलाने के लिए जुटेंगे।