इस न्यूज को सुनें
|
अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन 2024-25 के अनुपालन में श्रीराम सुलीन सिंह, माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष महोदय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार आज दिनांक 26.11.2024 को संविधान दिवस के अवसर पर जिला कारागार, अम्बेडकरनगर एवं सी०बी० सिंह लॉ कालेज, सोनगांव, अकबरपुर, अम्बेडकरनगर में मारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज / सचिय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इन विधिक साक्षरता शिविरों में शशिकांत मिश्रा, जेल अधीक्षक, गिरजा शंकर यादव, जेलर, राजेश तिवारी, डिप्टी चीफ, शरद पाण्डेय, असिस्टेंट, सुश्री बुलूल जेहरा, असिस्टेंट, एलएडीसीएस, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के कर्मचारी एवं पराविधिक स्वंय सेवक लॉ कालेज से डा० उदय प्रताप सिंह, प्राचार्य, डा० सुभाष चन्द्र यादव, उप प्राचार्य, लॉ कालेज के छात्र-छात्रायें एवं शिक्षकगण तथा जिला कारागार अम्बेडकरनगर के कर्मचारीगण एवं बन्दियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविर में श्री भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा बताया गया कि भारत का संविधान देश का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ। यह दिन भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। प्रत्येक राज्य में एक विधानसभा है कुछ राज्यों में एक ऊपरी सदन है जिसे विधानपरिषद कहा जाता है। राज्यपाल राज्य का प्रमुख है। प्रत्येक राज्य का राज्यपाल होगा तथा राज्य की कार्यकारी शक्ति उसमें निहित होगी, मन्त्रीपरिषद जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री है राज्यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्पादन में सलाह देती है। राज्य की मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य की विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है। संविधान की सातवीं अनुसूची में संसद तथा राज्य विधायिकाओं के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है अवशिष्ट शक्तियां संसद में विहित हैं। विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविर में अपर जिला जज / सचिव महोदय द्वारा संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार एवं कर्त्तव्यों पर जानकारी देते हुये बताया गया कि भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार भारत के संविधान द्वारा अपने नागरिकों को प्रदान किए गए मूल अधिकार हैं। ये अधिकार प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है। मानवीय गरिमा को बनाए रखने के लिए भी इनकी आवश्यकता होती है।
भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक दिए गए हैं। समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18 तक दिया गया है। स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19 से 22 तक दिया गया है इसी प्रकार शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 23 से 24 एवं धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार तथा संवैधानिक उपचार का अधिकार अनुच्छेद 25 से 35 तक चर्णित है। इसी प्रकार मौलिक अधिकारों के साथ ही मौलिक कर्तव्यों के बारे में भी वर्णन किया गया है मौलिक कर्तव्य भारत के नागरिकों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे देशभक्ति की भावना को बढ़ावा दें और हमारे देश की एकता को बनाए रखें, मौलिक कर्तव्यों को संविधान (42वें संशोधन) अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के के अंतर्गत शामिल किया गया, संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) में 11 मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। मौलिक अधिकार और कर्तव्य भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। छह मौलिक अधिकार है जिनमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं। मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 में दिए गए हैं। ये अधिकार प्रत्येक नागरिक के व्यक्तित्व विकास में मदद करते हैं और उसकी गरिमा की रक्षा करते हैं। मौलिक कर्तव्य देश के प्रति भारतीय नागरिकों की जिम्मेदारी हैं। संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) में 11 मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं।
उपरोक्त विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविरों के दौरान अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा जिला कारागार एवं लॉ कालेज में उपस्थित सभी को भारतीय संविधान की उद्देशिका का पाठन कराया गया।