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अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क)
चिराग तले अंधेरा! जनपद के जिला अस्पताल और सद्दरपुर मेडिकल कॉलेज के कई सरकारी चिकित्सक खुलेआम निजी अस्पतालों और नर्सिंग होमो में मरीज देख रहे हैं — और जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।शहर के दर्जनों नर्सिंग होम, पैथालॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटर धड़ल्ले से मानकों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि खुद स्वास्थ्य महकमे के अफसरों ने अपने परिवारजनों के नाम पर निजी नर्सिंग होम खोल रखे हैं — कोई रिश्तेदार के नाम पर तो कोई खुद ही मौके पर पहुंच मरीज देख रहा है।हालात यह हैं कि दर्जनों मेडिकल स्टोर भी अस्पताल में तब्दील होकर मरीजों को भर्ती कर इलाज कर रहे हैं। सवाल यह है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार आखिर कब इन पर लगाम लगाएंगे?जिलाधिकारी ने अवैध नर्सिंग होमो पर नकेल कसने के लिए टीमों का गठन किया जरूर है, लेकिन अपवाद स्वरूप एकाध छापेमारी के अलावा कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आई। चर्चा है कि जिन सीएचसी अधीक्षकों और प्रभारी चिकित्सकों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है — वही अफसर खुद अपने या रिश्तेदारों के नर्सिंग होम के रक्षाकवच बने हुए हैं। ऐसे में कार्रवाई की उम्मीद करना बेमानी है।सूत्र बताते हैं कि कई फर्जीवाड़े तो ऐसे हैं जहां पंजीयन किसी योग्य चिकित्सक के नाम पर है लेकिन हकीकत में मरीज कोई और ‘डॉक्टर साहब’ देख रहे हैं। मानक, उपकरण, क्वालिटी — सब हवा में।जनता का सवाल बिल्कुल सीधा है — पहले सरकारी चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस पर लगाम लगे, फिर गांव-नगर तक फैले मानकविहीन अस्पतालों पर गाज गिरे। वरना कागजों में छापेमारी और निरीक्षण की खानापूर्ति चलती रहेगी — और लोग लुटते-बीमार पड़ते रहेंगे।
*फिर वही सवाल — कब जागेगा सिस्टम?*