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लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम बेहद चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के जिस अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए बीजेपी ने पूरे देश में चुनावी माहौल को हवा दी, उसी अयोध्या में बीजेपी अपनी प्रतिष्ठा गंवाती हुई नज़र आ रही है।
इसके पीछे क्या कारण रहे? क्या यह राम मंदिर की हार है या फिर इसके लिए बीजेपी और लल्लू सिंह जिम्मेदार हैं? आइए जानते हैं।
लगातार बरकरार है सपा की बढ़त
लोकसभा चुनाव 2024 के रुझानों में अयोध्या से बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह कई राउंड की गिनती के बाद भी 20 हज़ार से ज्यादा वोटों से पीछे चल रहे हैं। यहां सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। एक लिहाज से देखा जाए तो यह मार्जिन बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन जिस तरह से यह बढ़त लगातार बरक़रार है उसे देखकर तो यही कहा जा रहा है कि यहां लल्लू सिंह की हार लगभग तय हो चुकी है। ताज़ा आंकड़ों की बात करें तो फैजाबाद लोकसभा सीट इंडिया गठबंधन के अवधेश प्रसाद 24, 853 से आगे चल रहे हैं। सपा प्रत्याशी को अब तक कुल 3,82,267 मत हासिल हुए हैं। जबकि लल्लू सिंह को 3,57,414 वोट ही मिल सके हैं।
बीजेपी ने बनाया था माहौल
अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के जरिए देश में चुनावी माहौल बनाया था। 22 जनवरी को राममंदिर में रामलला की भव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। जिसमें देश विदेश के हज़ारों नामचीन हस्तियों ने शिरकत की थी। बीजेपी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्यता देते हुए एक तरह से चुनाव का आग़ाज किया था। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले पीएम मोदी ने 30 दिसंबर को यहां एक भव्य रोड शो भी किया था। इसके अलावा बीती 5 मई को भी वोटिंग से पहले पीएम मोदी ने सीएम योगी के साथ यहां एक और मेगा रोड शो के जरिए वोटर्स को लुभाने का काम किया था।
क्यों हार रहे हैं लल्लू सिंह?
अब सवाल यह उठता है कि इतना सब होने और करने के बावजूद भी फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह क्यों हारते हुए दिखाई दे रहे हैं? इस यक्ष प्रश्न के जवाब में सियासी पंडितों का मानना है कि यहां अगर लल्लू सिंह को हार का सामना करना पड़ता है तो इसके सबसे ज्यादा जिम्मेदार वह ख़ुद होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक लल्लू सिंह के संविधान बदलने वाले बयान ने उन्हे भी नुकसान पहुंचाया है। हार का दूसरा कारण यह है कि स्थानीय लोगों के मुताबिक लल्लू सिंह शहर को छोड़ दें तो क्षेत्र में बहुत कम दिखाई दिए। अब चुनाव में उन्हें इसका भी ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है।
सपा की रणनीति ने दी मात!
इस चुनाव में बीजेपी ने तीसरी बार लल्लू सिंह पर भरोसा जताया था, जबकि दूसरी तरफ सपा ने 9 बार के विधायक और दलित चेहरे अवधेश प्रसाद पर दांव लगाया। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में पांच लाख से भी ज्यादा दलित वोटर है। जिसे सपा दलित चेहरे के जरिए काफी हद तक अपने पक्ष में करने में कामयाब रही है। यही वजह है कि यहां अवधेश प्रसाद लगातार बढ़त बनाए हुए हैं।
2019 में भी कम हुआ था मार्जिन
फैजाबाद लोकसभा सीट पर लल्लू सिंह ने 2014 में 2,82,775 वोटों के अंतर से विजयश्री हासिल की थी। इसके बाद 2019 के चुनाव में यह अंतर कम होकर महज 65 हज़ार शेष रह गया था। जबकि 2019 चुनाव से ठीक पहले राममंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका था। इसके बावजूद लल्लू सिंह को 5,29,021 वोट मिले थे, तो वहीं सपा प्रत्याशी ने 4,63,544 वोट हासिल किए थे। इन चुनावों में कांग्रेस के निर्मल खत्री भी 53, 383 वोट पाने में कामयाब रहे थे।