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लखनऊ। (आशा भारती नेटवर्क) उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में प्रॉपर्टी जमीन खरीदने के लिए एक नया नियम लागू किया है। इस नियम के तहत प्रॉपर्टी खरीदने की एक तय सीमा निर्धारित की गयी है जिससे राज्य में जमीन के अंधाधुंध अधिग्रहण पर रोक लगाई जा सके।
यह कदम आम जनता हितो की सुरक्षा और कृषि योग्य भूमि के संरक्षण के उद्देश्य से उठाया गया। उत्तर प्रदेश में किसी भी व्यक्ति को अधिकतम 12.5 एकड़ कृषि भूमि खरीदने की अनुमति यह नियम सुनिश्चित करता है कि राज्य में जमीन का उपयोग को व्यवस्थित रखा जा सके और अधिक भूमि खरीदने की स्थिति में वह जमीन राज्य सरकार की नियंत्रण में चली जाएगी। यह कदम भूमि विवादों और अराजकता को कम करने के लिए आवश्यक माना गया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है की जमीन खरीदने की नियमों का नाम पालन करने वालों पर कड़ी कार्यवाही है किसी प्रॉपर्टी खरीदने बेचने की प्रक्रिया मेंपारदर्शिता आएगी। इसके अलावा खतौनी वर्णन दस्तावेजों की जांच अनिवार्य कर दी गया था ताकि भूमि से संबंधित धोखाधड़ी को रोका जा सके।
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इन बातों का ध्यान रखें
जमीन की खतौनी और नक्शे की जांच करें। यह सुनिश्चित करें कि जमीन सरकारी ना हो वह श्रेणी 1 (क) में दर्ज हो। जमीन मालिक से उसकी खतौनी दस्तावेज और 16 अंकों का कोड प्राप्त करें। यदि अंतिम अंक 12 नहीं है तो उसे जमीन को खरीदने से बचे। यह सुनिश्चित करे की जमीन कृषि उपयोग या सार्वजनिक उपयोग की श्रेणी में ना आती हो , जैसे चकरोड, मरघट या चारागाह। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले रजिस्ट्री ऑफिस में 12 साल की रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड की जांच की करे यदि जमीन किसी SC/ST समुदाय के व्यक्ति से खरीदी जा रही है तो स्थानीय जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेने अनिवार्य है ,बिना अनुमति खरीदी गई जमीन राज्य सरकार के कब्जे में जा सकती है।
भू-प्रबंधन की आवश्यकताओं पर निर्भर करते हैं
भारत के अलग-अलग राज्यों में जमीन खरीदने की अलग-अलग सीमा निर्धारित है। कर्नाटक और महाराष्ट्र में अब 54 एकड़ तक जमीन खरीद सकते हैं। पश्चिम बंगाल में यह सीमा 24.5 एकड़ है। केरल में केवल 7.5 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति है। बिहार में सीमा 15 एकड़ है जबकि हिमाचल प्रदेश में 32 एकड़ तक है । । इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हर राज्य में भूमि खरीदने के नियम स्थानीय कानूनों और भू-प्रबंधन की आवश्यकताओं पर निर्भर करते हैं।