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योगा टिप्स: तीस की उम्र के बाद पुरुषों के शरीर में कई बदलाव आने लगते हैं, जिनमें मेटाबॉलिज्म की धीमी गति, मांसपेशियों की जकड़न, तनाव और ऊर्जा की कमी जैसी समस्याएं शामिल हैं। इन सब से बचने और शरीर को मजबूत, लचीला और स्वस्थ बनाए रखने के लिए नियमित योगाभ्यास बेहद ज़रूरी है।
बढ़ती उम्र में शरीर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखने के लिए भुजंगासन, वीरभद्रासन और वज्रासन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और ऊर्जा, लचीलापन और मानसिक शांति का अनुभव करें। यहां तीन ऐसे योगासन बताए जा रहे हैं, जो हर पुरुष को 30 की उम्र के बाद जरूर करने चाहिए।
भुजंगासन
- कमर और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
- पीठ दर्द से राहत देता है और शरीर को लचीला बनाता है।
- छाती खोलने में मदद करता है और श्वसन क्षमता को बढ़ाता है।
भुजंगासन के अभ्यास का तरीका
- पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को कंधों के पास रखें।
- सांस अंदर लेते हुए हाथों के सहारे शरीर को ऊपर उठाएं।
- सिर को पीछे की ओर ले जाकर छाती खोलें।
- 20-30 सेकंड इसी स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।
वीरभद्रासन
- पैरों, जांघों और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- शरीर में संतुलन और स्टैमिना बढ़ाने में मदद करता है।
- मानसिक तनाव को कम करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
वीरभद्रासन के अभ्यास का तरीका
- सीधे खड़े होकर एक पैर आगे बढ़ाएं और घुटने को मोड़ें।
- दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाकर खिंचाव दें।
- रीढ़ को सीधा रखते हुए 30 सेकंड तक इस मुद्रा में रहें।
- दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
वज्रासन
- पाचन को सुधारता है और एसिडिटी से बचाता है।
- ध्यान और मानसिक शांति के लिए फायदेमंद है।
- घुटनों और जांघों को मजबूत करता है।
वज्रासन के अभ्यास का तरीका
- घुटनों को मोड़कर एड़ियों पर बैठ जाएं।
- रीढ़ को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखें।
- 5-10 मिनट इस मुद्रा में बैठें और गहरी सांस लें।
नोट: ये योग विभिन्न स्रोतों से लिया गया और कई योगा एक्सपर्ट उपरोक्त योगासनों के फायदे बताते रहे हैं। आप इन योगासनों का अभ्यास योग एक्सपर्ट की देखरेख में करें। यदि किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही योग क्रिया करें।
विशेष: इस लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर आशा भारती नेटवर्क किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर अथवा वैद्य से परामर्श लें।
इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है।