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दिल्ली। काश पत्रकारों के द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राममनोहर नारायण मिश्रा के अराजक फैसले “लड़की के स्तन पकड़ना, नाड़ा खोलना और पुलिया के नीचे ले जाना बलात्कार का प्रयास नहीं” को लेकर मिडिया हाउस में आलोचना हुई होती तो आज दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने देश के प्रतिष्ठित अखबार “हिंदुस्तान टाइम्स” की महिला रिपोर्टर पत्रकार अनुश्री का स्तन दबाने का दु:साहस एक पुलिस वाला नहीं करता।
सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय यह है कि आरोपित पुलिस का कहना कि स्कूल की छात्रा समझ कर ऐसी हरकत कर बैठा। तो सवाल उठता है क्या स्कूली छात्रा का स्तन दबाना अपराध नहीं है?
हो सकता है पुलिस वाला जानबूझ कर यह हरकत किया होगा कि उच्च न्यायालय तो स्तन दबाने को बलात्कार करने की प्रयास के श्रेणी से बाहर कर दिया…।
अब देखना दिलचस्प होगा कि महिला पत्रकार ipc की किस धारा के तहत मामला दर्ज करवाती है।
लगेगी आग तो आयेंगे कई घर जद में, यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है!