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कलश यात्रा में शामिल से मनुष्य के पाप ताप संताप का नाश हो जाता है – आचार्य देवमूर्ति जी महाराज
(आशा भारती नेटवर्क) सुल्तानपुर। बुधवार से शुरु श्रीमद्भागवत कथा के पूर्व कलश यात्रा में सैकड़ों की संख्या में शामिल पीतांबर धारी महिलाओ ने मंगल कलश सिर पर धारण कर गाजे बाजे के साथ भब्य कलश यात्रा निकाली। यह कलश यात्रा गांव के विभिन्न देव स्थानों से होते पुनः कथा मंडप में सम्पन्न हुई।
बताते चले कि क्षेत्र के जूड़ापट्टी गांव निवासी सतेंद्र मिश्र द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमदभागवत ज्ञान कथा में कथावाचक परम् श्रध्देय देवमूर्ति जी महराज की उपस्थिति में सैकड़ों की संख्या में कलश यात्रा में महिलाएं एव पुरुष व बच्चे शामिल रहे। अयोध्या धाम से आये कथावाचक परम् श्रध्देय देवमूर्ति जी महाराज ने बताया कि सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा 15 फरवरी से प्रारम्भ होकर 21 फरवरी तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक कथावाचन होगा। 22 को हवन के साथ समापन होगा। कथा वाचक परम् श्रध्देय देवमूर्ति महाराज जी ने कलश यात्रा का महात्म्य के बारे में बताया कि कलश रिद्धि-सिद्धि का प्रतीक है। इसका हिदू धर्म में विशेष महत्व है। श्रीमद भागवत कथा एवं श्री रामकथा के आयोजन से पूर्ब जो कलश यात्रा निकाली जाती है।उसका शास्त्रों में विधान है। कार्यक्रम के पहले गाँव में ग्राम देवता व स्थान देवता का दर्शन पूजन करने के साथ साथ कलश में जल भरा जाता है। चाहे वह किसी मंदिर के पास का हो या किसी नदी या किसी पवित्र जलाशय का हो। कलश में जल भर कर मंडप में स्थापित किया जाता है साथ ही कलश यात्रा में जो भी महिलाएं एव पुरुष शामिल होते है उनके जीवन के सारे जाने अनजाने में किए गए पाप ताप संताप का नाश हो जाता हैं । सभी देवी देवताओं की स्तुतिया करते हुए गांव के कुल देवी देवताओ का दर्शन करते हुए उनका आवाहन किया जाता है। कलश यात्रा में केशवानंद महाराज, शास्त्री स्वमीनारायन, विवेक मिश्र, अजयकुमार मिश्रा, राजीव कुमार मिश्रा,चन्द्र प्रकाश ,पंकज कुमार मिश्रा,कमलेश मिस्र,द्रोपदी मिश्र, सुषमा मिश्रा, अंतिम मीरा,कंचन,आरती,ललिता, सरीता, प्रतिभा, शशि सुधा,चित्रलेखा समेत सैकड़ो में ग्रामीण मौजूद रहे।