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🔴 *गायत्री का अवलंबन परम श्रेयस्कर*
(१) गायत्री उपासना से मानव शरीर में सन्निहित अगणित संस्थानों में से कितने ही जाग्रत एवं प्रखर हो चलते हैं। इस जागृति का प्रभाव मनुष्य के व्यक्तित्व को समान रूप से विकसित होने में सहायक सिद्ध होता है।
व्यायाम से शरीर पुष्ट होता है, अध्ययन से विद्या आती है, श्रम करने से धन कमाया जाता है, सत्कर्मों से यश मिलता है। सद्गुणों से मित्र बढ़ते हैं। इसी प्रकार उपासना द्वारा अंतरंग जीवन में प्रसुप्त पड़ी हुई अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ सजग हो उठती हैं और उस जागृति का प्रकाश मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक विशिष्टता का रूप धारण करके प्रकट करता हुआ प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होता है। गायत्री उपासक में तेजस्विता की अभिवृद्धि स्वाभाविक है। तेजस्वी एवं मनस्वी व्यक्ति स्वभावतः हर दिशा में सहज सफलता प्राप्त करता चलता है।
-आचार्य श्रीराम शर्मा





