इस न्यूज को सुनें
|
पुलवामा जैसा हमला करना चाहते थे पाकिस्तानी आतंकी, सेना ने ऐसे किया ढेर
पुलवामा हमले के 10 दिनों के भीतर, भारतीय सुरक्षा बलों ने दो पाकिस्तानियों सहित तीन आतंकवादियों को मार कर एक और इसी तरह का आत्मघाती हमला टाल दिया था। पूर्व चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों (सेवानिवृत्त) ने अपनी किताब में इसका खुलासा किया है।
उन्होंने अपनी किताब ‘कितने गाजी आए, कितने गाजी गए’ में बताया कि कैसे पाकिस्तानी आतंकी पुलवामा हमले के 10 दिनों के भीतर एक और उसी तरह के हमले की साजिश रच रहे थे।
वीडियो में जाहिर किए थे अपने इरादे
पुस्तक में, ढिल्लों लिखते हैं कि बहुत से लोग ऐसे आत्मघाती हमले के बारे में नहीं जानते हैं, जिसकी योजना फरवरी 2019 में ही बनाई गई थी। एक संभावित आत्मघाती हमलावर आतंकवादी ने अपने इरादों को बताने के लिए एक वीडियो बनाया था। वीडियो में उसने विस्फोटक और अन्य हथियार दिखाए थे। मुख्य हमला 14 फरवरी, 2019 को हुआ था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान चली गई थी। एक आत्मघाती हमलावर ने अपने वाहन को सीआरपीएफ के काफिले की बस से टकरा दिया था जिसमें 40 कर्मियों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।
पाकिस्तानी आतंकी इसी हमले के 10 दिनों के भीतर ऐसे ही एक और हमले की योजना बना रहे थे। ढिल्लों लिखते हैं, “हालांकि, जैसे ही खुफिया और अन्य एजेंसियों को इस ऑपरेशन की योजनाओं के बारे में पता चला वैसे ही सभी उस आतंकी मॉड्यूल को बेअसर करने के लिए निकल पड़े।”
तुरीगाम गांव में छिपे थे आतंकी
चिनार कॉर्प्स के पूर्व कमांडर का कहना है कि पुलवामा की घटना के बाद खुफिया एजेंसियों, जम्मू कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना ने अपने अभियान तेज कर दिए थे और दक्षिण कश्मीर इलाके में जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के नेटवर्क में घुसपैठ कराने में बेहद सफल रहे थे। उन्होंने बताया कि एजेंसियां लगातार काम कर रही थीं और तुरीगाम गांव में जैश आतंकवादियों के इस मॉड्यूल की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी जुटा रही थीं। वहां ये आतंकी अगले हमले की योजना बना रहे थे।
अगर यह ऑपरेशन फेल हो जाता तो…..
केजेएस ढिल्लों कुलगाम में जम्मू-कश्मीर पुलिस के पुलिस उपाधीक्षक अमन कुमार ठाकुर को स्थानीय राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) इकाई के साथ आतंकवादियों के बारे में इनपुट साझा करने और आगे रहकर अपने लोगों के साथ ऑपरेशन का नेतृत्व करने का श्रेय देते हैं। ढिल्लों लिखते हैं कि सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने 24 फरवरी 2019 की रात को एक संयुक्त अभियान की योजना बनाई क्योंकि वे इस ऑपरेशन में विफल होने का जोखिम नहीं उठा सकते थे। अगर यह ऑपरेशन फेल हो जाता तो आतंकवादी पुलवामा में अपनी सफलता के 10 दिनों के भीतर एक और आत्मघाती हमले को अंजाम दे सकते थे। उन्होंने लिखा, “चुपके, तेजी और आश्चर्य के साथ काम करते हुए संयुक्त टीम तीन को पकड़ने में सफल रही। इ दौरान ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई।”
ताबड़तोड़ गोलियों के बीच किया आतंकियों का सफाया
जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना के बीच कश्मीर घाटी में आतंकवाद-रोधी अभियानों में तैनात सैनिकों के बीच सौहार्द को उजागर करते हुए ढिल्लों कहते हैं कि ऑपरेशन के दौरान डीएसपी ठाकुर ने भारतीय सेना के एक जवान बलदेव राम को आतंकवादी गोलियों की चपेट में आते देखा। ठाकुर ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह न करते हुए घायल सैनिक को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, लेकिन एक छिपे हुए स्थान से एक आतंकवादी द्वारा चलाई गई गोली से वे भी घायल हो गए। दुर्लभ साहस और फौलादी दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए ठाकुर बाद में आतंकवादी के पास पहुंचे और उसे करीब से घेर लिया और एक भीषण गोलाबारी में उसका सफाया कर दिया। मारे गए आतंकवादी की पहचान जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह से संबंधित पाकिस्तान निवासी नोमान के रूप में हुई।
उन्होंने 34 आरआर के नायब सूबेदार सोमबीर द्वारा दिखाई गई वीरता का भी उल्लेख किया, जिन्होंने एक पाकिस्तानी आतंकवादी ओसामा को एक करीबी गोलीबारी में मार गिराया और देश के लिए अपना बलिदान दिया। डीएसपी ठाकुर और नायब सूबेदार सोमबीर दोनों को ऑपरेशन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अदम्य साहस और वीरता के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। तुरीगाम गांव क्षेत्र में इस ऑपरेशन की सफलता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, ढिल्लों का कहना है कि “अगर इन आतंकवादियों को पुलवामा के 10 दिन बाद बेअसर नहीं किया गया होता, तो यह बहुत बड़ी आपदा होती।