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बस्ती: इतिहास का एक अनोखा और भावुक कर देने वाला क्षण शुक्रवार को बस्ती जिले में देखने को मिला। फिजी में बसे एक भारतीय-origin दंपति—रवींद्र दत्त और उनकी पत्नी केशनी हरे—अपनी जड़ों को तलाशते हुए 115 साल बाद बस्ती पहुंचे। पीढ़ियों से चला आ रहा बिछोह आखिरकार खत्म हुआ और जब वे अपने वास्तविक परिवार से मिले तो भावनाएं उमड़ पड़ीं।
1910 में अंग्रेज ले गए थे भारत से
रवींद्र ने बताया कि अंग्रेजी शासन के दौरान 1910 में उनके परदादा गरीब राम को गिरमिटिया मजदूर बनाकर फिजी भेजा गया था। वहां उनसे कड़ी मजदूरी कराई गई और वापस लौटने की अनुमति नहीं दी गई। समय के साथ उनका परिवार फिजी में ही बस गया, लेकिन भारत और अपनी जड़ों से जुड़ाव कभी खत्म नहीं हुआ।
इमिग्रेशन पास बना सुराग
काफी खोजबीन के बाद रवींद्र को अपने परदादा का इमिग्रेशन पास मिला, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां थीं। जिसके आधार पर उन्होंने अपने पुरखों की खोज शुरू की।
2019 में पहली बार भारत आए थे
इस जानकारी के बाद रवींद्र 2019 में पहली बार भारत आए। वे अयोध्या गए और भगवान रामलला के दरबार में मन्नत मांगी कि उन्हें उनका बिछड़ा परिवार मिल जाए।
सालों की मेहनत रंग लाई
इंटरनेट पर खोज, लोगों से बातचीत और दस्तावेजों की जांच ने 2025 में उन्हें बस्ती के कबरा गांव तक पहुंचा दिया। यहां गांव के प्रधान प्रतिनिधि रवि प्रकाश चौधरी की मदद से वे गरीब राम के नाती—भोला चौधरी, गोरखनाथ, विश्वनाथ, दिनेश, उमेश, रामउग्रह और अन्य परिवारजनों से मिले।
जिस पल रवींद्र अपने वास्तविक परिवार के सामने पहुंचे, आंखें नम थीं, दिल भरा हुआ था और खुशी बयां नहीं की जा सकती थी।
भारत से फिर जुड़ा रिश्ता
रवींद्र दत्त और उनकी पत्नी केशनी ने कहा कि भारत आकर जैसे वे अपनी खोई हुई धरोहर पा गए हों। उन्होंने सभी परिवारजनों को फिजी आने का निमंत्रण दिया और कहा—
“अब हमारा भारत से गहरा रिश्ता बन चुका है। हर सुख-दुख में हम अपने परिवार के साथ खड़े रहेंगे।”
रवींद्र ने इस ऐतिहासिक और भावनात्मक मिलन को कैमरे में कैद किया और फिर फिजी लौट गए। बता दें कि आज फिजी की लगभग 37% आबादी भारतीय मूल की है।





