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अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन 2024-25 के अनुपालन में श्री राम सुलीन सिंह, माननीय जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष महोदय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार आज दिनांक 08.01.2025 को तहसील सभागार, अकबरपुर अम्बेडकरनगर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिलाओं के सशक्तीकरण एवं हितार्थ काननों के सम्बन्ध में (मिशन शक्ति) तथा स्थायी लोक अदालत की जनोपयोगी सेवाओं के सम्बन्ध में विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में श्री भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर, श्री शिव नरेश सिंह, तहसीलदार/सचिव, तहसील विधिक सेवा सनिति, अकबरपुर, श्री रमेश राम त्रिपाठी, चीफ, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल, श्री शरद पाण्डेय, असिस्टेंट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल, सुश्री बुतूल जेहरा, असिस्टेंट, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल, जि०वि०से०प्रा० के कर्मचारी, पी०एल०वी० तथा तहसील अकबरपुर के कर्मचारीगण एवं वादकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
शिविर को सम्बोधित करते हुये श्री भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के राम्बन्ध में जानाकारी देते हुये बताया गया कि इस योजना का उद्देश्य पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना, उन्हे शोषण से बचाना व राही गलत के बारे में अवगत कराना, बालिकाओं को शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को समाजिक एवं आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना है, लोगों को इसके प्रति जागरूक करना एवं बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक समाजिक आंदोलन और रागान मूल्य को बढ़ावा देने के लिये जागरूकता अभियान का कार्यान्चन करना निम्न लिंगानुपात वाले जिलों की पहचान कर ध्यान देते हुये गहन और एकीकृत कार्यवाही करना। उन्होने बताया शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने सम्बन्धी कानून के लागू होने से बच्चों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का सपना साकार हुआ इसे बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का नाम दिया गया है शिक्षा का अधिकार अधिनियम जिसमें संविधान के 88वें संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा 21क जोड़कर शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया है। शिक्षा का अधिकार विधेयक को संसद में 4 अगस्त 2009 को मंजूरी प्रदान की तथा 1 अप्रैल 2010 से शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुआ एवं कानून के अंतर्गत बच्चों को अनिवार्य निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिये अनेक प्रावधान किये गये हैं। बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हमारे अन्दर आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है।
श्री शरद पाण्डेय, असिस्टेंट, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल, द्वारा उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशों के कम में स्थाई लोक अदालत के विषय में जानकारी देते हुये बताया गया कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22बी के अंतर्गत स्थायी लोक अदालत का गठन प्रत्येक जनपद में किया गया है एवं यह जनपद न्यायालय अम्बेडकरनगर परिसर, ए०डी०आर० भवन में संचालित है। स्थाई लोक अदालत द्वारा जनहित सेवाओं से सम्बन्धित विवादों का निस्तारण मुकदमा दायर होने से पहले आपसी सुलह-समझौते के आधार पर किया जायेगा। जनहित सेवाओं से पीड़ित कोई भी व्यक्ति अपने विवादों के निपटारे के लिये स्थायी लोक अदालत में आवेदन कर सकता है। स्थायी लोक अदालत में यातायात सेवाओं से सम्बन्धित विवाद डाकघर या टेलीफोन सेवाओं से सम्बन्धित विवाद, बिजली प्रकाश या जलसेवा से सम्बन्धित विवाद, लोक सफाई व स्वच्छता प्रणाली से सम्बन्धित विवाद, अस्पताल या औषधालय में सेवाओं से सम्बन्धित विवाद, बैंकिंग सेवाओं से सम्बन्धित विवाद एवं बीमा सेवाओं से सम्बन्धित विवादों का निस्तारण सुलह-समझौता के आधार पर किया जाता है। स्थाई लोक अदालत के द्वारा निर्णय सिविल न्यायालय की डिकी की तरह होता है जो कि विवाद से सम्बन्धित पक्षकारों पर अनिवार्य रूप से लागू कराया जाता है और यह अवार्ड विवाद से सम्बन्धित पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है।
सुश्री बुतूल जेहरा, असिस्टेंट, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल, द्वारा मिशन शक्ति के अंतर्गत महिलाओं के हितार्थ हेतु, महिलाओं के कानूनी अधिकार एवं महिलाओं का कार्यस्थल पर लैगिंक उत्पीड़न निवारण (पॉश एक्ट) एवं लिंग चयन और लिंग निर्धारण के निषेध (पी०सी०पी०एन०डी०टी० एक्ट) कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिये 2013 में बनाये गये कानून जिसे पाश एक्ट यानी प्रिवेंशन आफ सेक्सुअल हैरेसमेंट कहा जाता है पर जानकारी देते हुये बताया कि किसी भी प्राईवेट कार्यालय, सरकारी या गैर सरकारी कार्यालय जिनमें महिलायें कार्य करती है। उसमें महिलाओं के कार्य स्थल पर लैगिक उत्पीड़न से सरंक्षण और लैंगिक उत्पीड़न के परिवादों के निवारण के लिये प्राईवेट सेक्टर, सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में समिति बनाया गया है उन समितियों के तहत जो भी पीड़ित महिलायें होगी अपनी सूचना समिति को देगी और समिति उस पर कार्यवाही करेगी। कार्यस्थल पर महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न से बचाने के लिये आंतरिक परिवाद समिति व क्षेत्रीय परिवाद समिति का गठन किया गया है। समिति दो प्रकार की होगी आंतरिक एवं बाह्य। पी०सी०पी०एन०टी० एक्ट पर जानकारी देते हुये बताया कि लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम, 1994 एक ऐसा अधिनियम है जो कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिये लागू किया गया है। इस अधिनियम ने प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। कोई भी व्यक्ति जो प्रसव पूर्व गर्भाधान लिंग निर्धारण का विज्ञापन करता है या ऐसे किसी भी कार्य में संलग्न होता है तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है।