परिवार की मंगलकामना के लिए अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
महिलाओं ने शुरू किया ३६ घंटे का निर्जल व्रत
अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है, जो जीवन की सृष्टि करने वाले और ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं। सोमवार को जनपद मुख्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में भी डाला छठ पर्व की धूम रही। संध्याकाल में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आदि तमसा नदी गायत्री मंदिर अकबरपुर शिवालय घाट शहजादपुर अर्धनारीश्वर मंदिर मोहसिनपुर मंसूरपुर श्रवण धाम सरयू नदी टांडा के तट पर हजारों की संख्या में संतान एवं परिवार की मंगलकामना के लिए महिलाओं ने ३६घंटे का कठोर निर्जल व्रत रखते हुए साधना की। नदी जल में खड़े रहकर सूर्य देवता को अर्घ्य दिया। नगर से गाजे बाजे के साथ परंपरा के मुताबिक सिर पर मौनी और दौरी में पूजन संबंधी सामग्री लेकर व्रती महिलाएं सपरिवार तमसा तट पर पहुंचीं। चतुर्दिक उत्सव का सा माहौल दिखाई दिया *सूर्य देवता की पूजा*: सूर्य देवता को जीवन की सृष्टि करने वाले और ऊर्जा के स्रोत के रूप में पूजा जाता हैं*छठी मैया की पूजा*: छठी मैया को सूर्य देवता की बहन माना जाता है और संतान सुख के लिए उनकी पूजा की जाती है।
नहाय खाय: छठ पूजा का पहला दिन, जिसमें व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
खरना: छठ पूजा का दूसरा दिन, जिसमें व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को पूजा के बाद भोजन ग्रहण करते हैं।
संध्या अर्घ्य: छठ पूजा का तीसरा दिन, जिसमें व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
उषा अर्घ्य: छठ पूजा का चौथा दिन, जिसमें व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
*निर्जला व्रत: व्रती 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं।
*पवित्रता: व्रती को पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना होता है।
*सूर्य पूजा: सूर्य देवता की पूजा करना अनिवार्य हैछठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है और पारिवारिक एकता और सामुदायिक सौहार्द का भी प्रतीक है।




