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अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) जिले का रामा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों में है। अस्पताल पर फर्जी रिपोर्ट तैयार करने और दस्तावेजों में हेराफेरी के गंभीर आरोप लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता और जांच में देरी ने पूरे मामले को और जटिल बना दिया है। सूत्रों के अनुसार, यह अस्पताल डिप्टी सीएमओ डॉ. संजय वर्मा की पत्नी के नाम पर पंजीकृत है, जिसके चलते शिकायतों पर विभाग की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। मामला अब मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुका है।
मामले की शुरुआत एक अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से हुई, जिसमें डॉक्टर के हस्ताक्षर 21 सितंबर 2025 को दर्ज हैं। जबकि सीएमओ कार्यालय के प्रेस नोट में यही डॉक्टर 23 सितंबर को आवेदन करने की बात कह रहे हैं। तारीखों का यह विरोधाभास रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह मामला सीधे पीसीपीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन की ओर इशारा करता है, जिसके तहत गर्भावस्था से जुड़ी जांचों में पारदर्शिता आवश्यक है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसी फर्जी रिपोर्टें मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। कई लोगों का आरोप है कि अस्पताल में नियमों की अनदेखी आम हो गई है और विभागीय निगरानी केवल कागजों तक सीमित है।
यह पहला विवाद नहीं है जब रामा हॉस्पिटल पर सवाल उठे हों। जुलाई 2023 में भी अस्पताल पर बीएससी नर्सिंग कॉलेज के मानकों का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे। लेकिन तब भी डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन (DGME) या चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से कोई स्पष्ट जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
स्थानीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि लगातार शिकायतों के बावजूद न तो कोई निरीक्षण दल बना और न ही कोई जवाबदेही तय की गई।
अंबेडकरनगर प्रेस क्लब के सचिव बृजेन्द्र वीर सिंह ने हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री, डीएम अंबेडकरनगर और उपमुख्यमंत्री को टैग कर अस्पताल की पंजीकरण प्रक्रिया और संचालन की जानकारी मांगी। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के रजिस्ट्रेशन से लेकर जांच प्रणाली तक में कई अनियमितताएं हैं, जिनकी जांच आवश्यक है।
उनके ट्वीट के बाद मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि प्रारंभिक रिपोर्ट मांगी गई है, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक कार्रवाई सामने नहीं आई।
जिले के स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पूरे मामले में सबसे ज्यादा विवादित हो गई है। डिप्टी सीएमओ डॉ. संजय वर्मा पर आरोप है कि पारिवारिक हितों के चलते अस्पताल से जुड़ी शिकायतों को दबाया जा रहा है। कई शिकायतों के बावजूद न तो कोई नोटिस जारी किया गया और न ही जांच टीम गठित हुई।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शिकायतें शीर्ष स्तर तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई में देरी की जा रही है। डीएम की ओर से निर्देश जरूर दिए गए हैं, परंतु जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिख रहा।





