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गांव में गूँजा जयकारा, परिवार ने जताया आभार
अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर शहीद बलिदानी बजरंगी विश्वकर्मा की स्मृति में निर्मित शहीद बजरंगी विश्वकर्मा द्वार का लोकार्पण बुधवार को एमएलसी हरिओम पांडेय ने किया। बरियावन चौराहे पर बने इस स्मृति द्वार के उद्घाटन के साथ ही लंबे समय से चली आ रही ग्रामीणों की मांग पूरी हो गई।
लोकार्पण समारोह में ग्रामीणों और परिजनों ने एमएलसी का स्वागत किया और कहा कि यह द्वार न केवल एक स्मारक है, बल्कि यह उस वीरता का प्रतीक है जिसने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।
अकबरपुर तहसील के सुल्तानपुर तुलसीपुर गांव के निवासी शहीद बजरंगी विश्वकर्मा का जन्म 1 जुलाई 1973 को हुआ था। चार भाइयों में सबसे छोटे बजरंगी विश्वकर्मा बचपन से ही राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पित थे। हाई स्कूल की परीक्षा राम अवध जनता इंटर कॉलेज, बरियावन से उत्तीर्ण करने के बाद वह अपने पिता सुरेश मन के साथ दिल्ली चले गए। वहीं से उन्होंने सीमा सुरक्षा बल (BSF) में भर्ती होकर देश की सेवा का संकल्प पूरा किया।
सेवा के दौरान, 6 अगस्त 2010 को त्रिपुरा के नलकटा क्षेत्र में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में उन्होंने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त किए। उनकी इस असाधारण वीरता के लिए राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनके योगदान और बलिदान को सम्मान देते हुए शासन द्वारा बरियावन-टांडा मार्ग को बलिदानी बजरंगी विश्वकर्मा मार्ग के रूप में नामित किया गया था। इसके बाद स्थानीय लोगों और परिजनों की यह मांग थी कि शहीद की स्मृति में एक द्वार का निर्माण कराया जाए। अब इस द्वार के लोकार्पण के साथ यह मांग पूरी हो गई है।
कार्यक्रम स्थल पर बड़ी संख्या में ग्रामीण, युवाओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। शहीद के सम्मान में “जय हिंद”, “अमर शहीद बजरंगी विश्वकर्मा अमर रहें” के नारे गूंजते रहे।
शहीद के भाई प्रेम भवन विश्वकर्मा ने एमएलसी हरिओम पांडे का फूलमालाओं से स्वागत करते हुए कहा कि परिवार को यह गर्व है कि उनके वीर भाई की स्मृति को अमर बनाने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने पहल की। उन्होंने कहा कि यह द्वार आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और उन्हें राष्ट्रसेवा के प्रति समर्पण का संदेश देगा।
परिजनों ने बताया कि शहीद के बलिदान के बाद शासन से मिले सम्मान और इस स्मृति द्वार की स्थापना ने परिवार के गर्व को और बढ़ाया है।
एमएलसी ने कहा — शहीदों की याद जीवित रखना हर नागरिक का कर्तव्य हैं।
इस अवसर पर एमएलसी हरिओम पांडेय ने कहा कि शहीदों का सम्मान समाज का सर्वोच्च दायित्व है। उन्होंने कहा,
“शहीद बजरंगी विश्वकर्मा जैसे वीर सपूतों ने देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। यह द्वार आने वाली पीढ़ियों को हमेशा याद दिलाएगा कि मातृभूमि की सेवा सर्वोच्च धर्म है।”
उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि शहीद परिवारों के सम्मान में चलाए जा रहे कार्यक्रमों को निरंतरता दी जाए, ताकि समाज में देशभक्ति की भावना सशक्त हो सके।
कार्यक्रम में उपस्थित ग्रामीणों ने कहा कि शहीद बजरंगी विश्वकर्मा का यह स्मारक द्वार गांव की पहचान बनेगा। ग्रामीणों ने एमएलसी का आभार जताते हुए कहा कि यह पहल युवाओं के मन में देशभक्ति की नई प्रेरणा जगाएगी।
लोकार्पण समारोह में मानसिंह (गुड्डू), राम केवल वर्मा, रामप्यारे विश्वकर्मा, नारद विश्वकर्मा, हरेंद्र सिंह, हेमंत सिंह समेत अनेक स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।





