इस न्यूज को सुनें
|
कलावे को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. किसी भी पूजा पाठ, अनुष्ठान या मांगलिक कार्यक्रम के बाद पंडित जी द्वारा सदैव कलावा बाधां जाता है. इसे अक्सर आपने लाल रंग में देखा होगा, लेकिन ये पीले और हरे रंग में भी आता है.
कलावे को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. मान्यता है कि कलावे को बांधने से जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा होती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कलावे को बांधने से लेकर उतारने तक को लेकर कुछ नियन बताए गए हैं.
किस दिन बदलना चाहिए कलावा-
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि हमें कलावे को बदलते समय दिन का ध्यान जरूर रखना चाहिए. हमें इसे किसी भी दिन नहीं बदलना चाहिए. यदि आपका कलावा पुराना हो गया है और आप इसे बदलना चाहते हैं तो आप इसे मंगलवार या शनिवार को बदले. इसे दिन कलावा बदलने को शुभ माना जाता है.
क्या करें पुराना कलावा-
अक्सर कलावा बदलने के बाद हम दुविधा में पड़ जाते हैं कि पुराने कलावे का क्या करें ऐसे में पुराने कलावे को बदलने के बाद इसे पीपल के पेड़ के नीचे डाल दें. याद रहे इसे कभी भी इधर उधर न फेंके.
कैसे हुई शुरुआत-
शास्त्रों में कलावा बांधने की शुरुआत को लेकर उल्लेख दिया हुआ है. बताते हैं कि कलावा बांधने की शुरुआत लक्ष्मी जी ने और राजा बलि ने की थी. इसके बाद से ये परंपरा आज तक चली आ रही है.
इन बातों का रखें ध्यान-
-कलावा बंधवाते वक्त मुट्ठी को बंद रखना चाहिए साथ ही दूसरे हाथ को सिर पर रखना चाहिए.
– अविवाहित कन्याएं हमेशा दाएं हाथ में कलावा बंधवाएं.
– विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए.
डिस्क्लेमर: दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. आशा भारती न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.