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बच्चों को मोबाइल से रखें दूर – डॉ विवेक श्रीवास्तव
अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) आधुनिक तकनीक के साथ कदम ताल करने की सोच ने हर हाथ में मोबाइल थमा दिया है। बच्चे अगर ज्यादा परेशान कर रहे है, तो अभिभावक मोबाइल देकर गेम या वीडियो चल कर शांत करने का प्रयास करते है। अब यह सोच ने बच्चों को रोगी बनाने लगी है।मोबाइल एडिक्शन के कारण अब बच्चे सर्वाइकल पेन या आंख की रोशनी का शिकार होकर चिकित्सक के पास आने लगे है। ऐसे बच्चे मेडिकल कॉलेज अस्पताल के साथ साथ निजी क्लिनिक में भी आ रहे है।रोजाना दो से तीन बच्चे इस मोबाइल के कारण सर्वाइकल पेन की समस्या के साथ आ रहे है। ऐसे में अगर आप के घर का बच्चा अगर जरूरत से ज्यादा मोबाइल पर गेम या वीडियो देखता है तो आप सतर्क हो जाए।मेडिकल कालेज अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अमित पटेल कहते है ओपीडी में ऐसे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जांच में पाया जाता है कि ये बच्चे सर्वाइकल पेन का शिकार हो रहे है। आज से पहले यह रोग पचास साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सामान्य तौर पर हुआ करता था।अब यह छोटे छोटे बच्चों को भी होने लगा है। बच्चे इस रोग का शिकार हो रहे है इसकी जानकारी समय पर अभिभावक को भी नहीं हो पाता है। जांच में जब बच्चे इस रोग का शिकार निकलते है, तो उनके माता पिता भी आश्चर्य करते है। हमारे सामने रोजाना दो से चार बच्चे इस रोग का शिकार होकर आते है। डॉ विवेक श्रीवास्तव ने बताया जो बच्चे मोबाइल का उपयोग जरूरत से ज्यादा करते है। वो एक ही पोजिशन में मोबाइल देखते रहते है। इससे उनकी रीढ़ की हड्डी पर प्रेसर पड़ता है। इससे लिगामेंट में स्पेस होने की संभावन हो जाती है। मांस भी कठोर होने लगता है। परिणाम स्पाइनल दर्द करने लगता है।डॉक्टर के अनुसार अगर बच्चा थका लगे, सिर, पीठ में दर्द रहता है। मोबाइल लेने पर गुस्से में आ जाता है। हमेशा मोबाइल खोजता है। मोटापा की ओर जा रहा है। आंख में चश्मा लग गया है तो अभिभावक को सचेत हो जाने की जरूरत है। ऐसे में बच्चों को जितना हो सके मोबाइल से दूर रखे। उनको आउटडोर गेम के लिए भेजे। इस रोग से बचने के लिए बच्चों को मोबाइल से दूर रहे यह जरूरी है।