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नई दिल्लीः (आशा भारती नेटवर्क) भारतीय सेना में भर्ती के लिए लाई गई ‘अग्निवीर योजना’ को लेकर शुरुआत से ही देशभर में बहस और सवाल जारी हैं। अब इसी योजना को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आ सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार और सेना इस योजना के तहत चार साल की सेवा पूरी करने वाले अग्निवीरों में से 75% तक जवानों को स्थायी रूप से सेना में बनाए रखने पर विचार कर रही है।
क्या है मौजूदा व्यवस्था वर्तमान में अग्निवीर स्कीम के तहत चार साल की सेवा अवधि पूरी होने के बाद केवल 25% सैनिकों को सेना में आगे की स्थायी सेवा के लिए चुना जाता है। शेष 75% को रिटायर होकर सिविल लाइफ में लौटना पड़ता है। लेकिन अब इस अनुपात को उलटने की तैयारी है — यानी अधिकांश अग्निवीर अपनी सेवा जारी रख सकेंगे।
जैसलमेर में आज हो सकता है ऐतिहासिक फैसला सेना की शीर्ष कमान आज जैसलमेर में आयोजित आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में इस प्रस्ताव पर चर्चा करने जा रही है। माना जा रहा है कि यहीं से इस बदलाव को लेकर औपचारिक घोषणा भी हो सकती है। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अगले साल अग्निवीरों का पहला बैच चार साल की सेवा पूरी करने जा रहा है, यानी फैसला सीधे उन पर असर डालेगा।
सुरक्षा और रणनीति पर होगी गहन समीक्षा इस कॉन्फ्रेंस में केवल अग्निवीर स्कीम ही नहीं, बल्कि कई अन्य अहम विषयों पर भी चर्चा होगी। इनमें शामिल हैं— तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और संयुक्त कमांड सिस्टम (Joint Command Structure) की दिशा में ठोस कदम, सेना के पूर्व सैनिकों (Ex-Servicemen) की सेवाओं का अधिक उपयोग, और मौजूदा सैनिकों के कल्याण से जुड़ी नई नीतियां। सेना के पास बड़ी संख्या में रिटायर्ड सैनिकों का एक पूल है, जिनकी विशेषज्ञता का उपयोग वर्तमान में केवल कुछ संस्थानों — जैसे आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी और Ex-Servicemen Contributory Health Scheme — में किया जा रहा है। अब इस अनुभव को सेना के अन्य क्षेत्रों में शामिल करने की दिशा में भी विचार होगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली बड़ी बैठक यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत ने मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी। उस मिशन के बाद यह पहली बार है जब सेना की टॉप लीडरशिप एक साथ रणनीतिक समीक्षा के लिए जुट रही है। कॉन्फ्रेंस में यह भी तय किया जाएगा कि किसी आकस्मिक हमले या मिशन की स्थिति में भारतीय सेना कितनी तेजी से सक्रिय हो सकती है, हथियारों और विमानों की मरम्मत और तैनाती की समयसीमा क्या होगी, और संसाधनों के संयुक्त उपयोग के लिए कौन-से ढांचे लागू किए जाएंगे।
जॉइंट कमांड्स की दिशा में कदम हाल ही में कोलकाता में हुई कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि देश में तीन जॉइंट मिलिट्री स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। साथ ही, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की शैक्षणिक शाखाओं के विलय की प्रक्रिया भी शुरू करने का निर्णय लिया गया था।
अग्निवीरों के लिए उम्मीद की नई किरण अगर 75% अग्निवीरों को स्थायी सेवा देने का प्रस्ताव लागू होता है, तो यह लाखों युवाओं के लिए सेना में करियर की नई स्थिरता लेकर आएगा। अब तक इस योजना को अस्थिर भविष्य और सीमित अवसरों को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी थी।






