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भैया दूज पर बहनों ने भाइयों की मांगी सलामती की दुआ
कड़ी सुरक्षा के बीच 320 बहनों और पहुंचे आठ भाइयों के साथ जेल में मनाया गया पर्व

गिरजा शंकर गुप्ता/अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) भाई-बहन के पवित्र स्नेह का पर्व भाई दूज गुरुवार को जिला कारागार अंबेडकरनगर में परंपरागत उल्लास और भावनाओं के साथ मनाया गया। सुबह से ही जेल परिसर में रौनक दिखाई दी। सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच बहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। कोई पूजा की थाली सजाए खड़ी थी तो कोई अपने भाई के इंतजार में आंखें टिकाए हुए। 
जिला कारागार में इस मौके पर 176 बंदी भाइयों से मिलने के लिए उनकी 320 बहनें पहुंचीं। वहीं, आठ भाई ऐसे भी आए जिनकी चार बहनें जेल में बंद हैं। पर्व के अवसर पर पूरा जेल प्रशासन चौकन्ना रहा, लेकिन माहौल भावनाओं से सराबोर रहा।
बहनों ने सजाई थाली, भाइयों के माथे पर लगाया तिलक
भाई दूज के पारंपरिक स्वरूप को जीवंत करते हुए बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर दीर्घायु, सुख-समृद्धि और कारागार से शीघ्र मुक्ति की कामना की। भाइयों ने भी बहनों के चरण स्पर्श कर उन्हें आशीर्वाद दिया। मुलाकात का समय सीमित था, पर हर बहन ने उन कुछ क्षणों में अपने स्नेह की पूरी अभिव्यक्ति कर दी।
जेल प्रशासन ने विशेष रूप से पर्व के लिए अलग व्यवस्था की थी। परिसर में बने अस्थायी मंडप में बहनों को प्रवेश दिया गया। सुरक्षा जांच के बाद सभी को निर्धारित समयानुसार मुलाकात की अनुमति मिली।
पर्व के दौरान जिला जेल के बाहर सुबह से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए। जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा की निगरानी में पूरी व्यवस्था संभाली गई। उनके साथ कारापाल आलोक सिंह, उप कारापाल तेजवीर सिंह व सूर्यभान सरोज, अनूप कुमार गोंड, तथा हेड वार्डर राजीव यादव सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
सुरक्षा जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात रहा। किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग द्वार निर्धारित किए गए।

भाई दूज पर कारागार परिसर में ऐसी भावनात्मक छवि शायद ही कभी देखने को मिली हो। हर ओर भाई-बहन के स्नेह का दृश्य था। कई बहनें अपने छोटे बच्चों के साथ पहुंचीं। किसी ने राखी के बचे हुए धागे साथ लाए तो किसी ने मिठाइयों में अपने हाथ का स्वाद जोड़ा।
कुछ बहनें भाई को देखकर भावुक हो उठीं। उन्होंने कहा कि “भाई जेल में हैं, पर त्योहार तो वही है, जहां अपनापन हो।” वहीं, बंदी भाइयों ने भी कहा कि यह दिन उनके लिए सबसे खास है, जब अपनेपन की एक झलक उन्हें बाहरी दुनिया से जोड़ देती है।
जेल प्रशासन की ओर से इस पर्व को शालीनता और व्यवस्था के साथ संपन्न कराने के लिए सभी तैयारियां पहले से की गई थीं। मुलाकात के समय, सुरक्षा प्रक्रिया, और सुविधा केंद्रों को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया गया। अधिकारियों ने लगातार स्थिति पर नजर बनाए रखी।
कारागार अधीक्षक शशिकांत मिश्रा ने बताया कि “भाई दूज भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है। बंदियों को भी अपने परिवार से जोड़ने और उनमें सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए ऐसे अवसर महत्वपूर्ण हैं।
दिन भर चली इस भेंट-मुलाकात के दौरान जेल परिसर में शांति और अनुशासन बना रहा। दोपहर तक सभी बहनें अपने भाइयों से मिलकर लौटीं, लेकिन उनके चेहरे पर संतोष और खुशी साफ झलक रही थी।





