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- छठ महापर्व की धूम : सोमवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी महिलाएं
अंबेडकर नगर। (आशा भारती नेटवर्क) जिले में छठ महापर्व का उल्लास चरम पर है। रविवार को व्रती महिलाओं ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को छठ माता की पूजा के साथ खरना व्रत संपन्न किया। नहाय-खाय की रस्म के बाद यह दूसरा दिन आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बन गया। गेहूं की रोटी और गुड़ की खीर का सेवन कर व्रत का प्रारंभिक पारण किया गया। सोमवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य और मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह चार दिवसीय पर्व संपन्न होगा।
अकबरपुर से लेकर जलालपुर, टांडा और शहजादपुर तक छठ घाटों पर धार्मिक माहौल देखने लायक है। नगर पालिका परिषद की ओर से रविवार तक जिले के 91 घाटों पर साफ-सफाई और सजावट का कार्य पूरा कर लिया गया। अकबरपुर के गायत्री मंदिर के पास नदी तट पर बनाए गए कुंड को विशेष रूप से सजाया गया है। यहां छठ माता की प्रतिमा स्थापित कर दीपमालाओं से पूरा घाट रोशन किया गया।

छठ पूजा स्थल दहिरपुर तालाब (डीएम आवास के सामने), शिवाला घाट पंडा टोला, और जौहरडीह मार्ग के घाटों को भी आकर्षक लाइटिंग, फूलों और कपड़ों की डिजाइनों से सजाया गया। शिवाला घाट पर पेंटिंग के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया गया, जबकि गायत्री मंदिर घाट पर पक्का घाट का निर्माण श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किया गया है।
रविवार को व्रती महिलाओं ने खरना व्रत रखा। शाम को सूर्यास्त के बाद सभी महिलाओं ने वेदी पर दीपक जलाकर छठ माता की पूजा की। परिवार की लंबी आयु और संतान सुख की कामना के साथ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया गया। व्रती अंजू मिश्रा ने बताया कि सोमवार को मुख्य पूजा होनी है, इसलिए सभी आवश्यक सामग्री पहले ही खरीद ली गई है, ताकि अर्घ्य देने की तैयारी में कोई कमी न रहे।
बाजारों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़। पूरे जिले की सभी बाजारों में छठ पर्व की तैयारियों को लेकर रविवार को भारी भीड़ देखी गई। पूजा सामग्री जैसे सूप, बांस से बने डलिया, नारियल, गन्ना, सुथनी, शकरकंद, हल्दी, अदरक, नींबू, शहद, पान-सुपारी, सिंदूर और कपूर की खरीददारी देर शाम तक जारी रही।
छठ महापर्व का तीसरा दिन सोमवार सबसे महत्वपूर्ण है। सोमवार की शाम व्रती महिलाएं जलाशयों में खड़ी होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी। श्रद्धालु परिवार के साथ घाटों पर एकत्र होंगे और सूर्यदेव से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करेंगे। मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण कर महापर्व संपन्न होगा।




