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(गिरजा शंकर विद्यार्थी)
उत्तर प्रदेश: वैश्विक धार्मिक राजधानी के नाम से मशहूर काशी बाबा भोलेनाथ की नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां पर शिव के अनेकों रूप की उपासना की जाती है। अब जहां महादेव का वास हो और वहां माता पार्वती ना हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। यही कारण है कि काशी में मां पार्वती के भी अनेक रूपों की पूजा व उपासना की जाती है। अब ये सभी मंदिर काशी में स्थित है तो जाहिर इन सभी मंदिरों की अपनी एक कहानी है, एक पौराणिक कथा है, एक मान्यता है और उनके महिमा का वर्णन करता इनका इतिहास है, जो भक्तों को मंदिरों की ओर से खींच ले जाता है।
पापों का नाश करती हैं माता
आज शारदीय नवरात्रि का अष्टमी का दिन है, आज के दिन मां महागौरी की उपासना की जाती है। इस दिन भक्त मां के पसंदीदा गुड़हल के फुल, लाल चुनरी, नारियल और विभिन्न मिष्ठान अर्पित करते हैं और उनका भोग लगाकर प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि मां महागौरी के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है। वहीं, देवी की पूजा करने से उनके भक्तों को कई अलौकिक सिद्धियां और शक्तियां भी प्राप्त होती हैं।
मंदिर को लेकर पौराणिक कथा
माता महागौरी के मंदिर को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित है। इनमें से एक सबसे मुख्य कथा यह है, “जब माता गौरी भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठोर तप कर रही थीं तो उस दौरान मां कृष्ण वर्ण की हो गई थी लेकिन भगवान शिव ने गंगाजल से देवी को गौर वर्ण का कर दिया था, इसी के बाद माता पार्वती को देवी महागौरी का नाम मिला।” माता श्वेत वस्त्र धारण किए हुए वृषभ पर विराजित है, जो बेहद दयावान भी है।