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अधिकारी मेहरबान, जालसाज बेलगाम:अवैध पैथोलॉजी लैब और निजी अस्पतालों का धड़ल्ले से हो रहा संचालन
अंबेडकरनगर। आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा भले ही लाख दावे किए जा रहे हो। लेकिन, हकीकत यही है कि आज भी जिले में संचालित अधिकांश जांच घर बिना निबंधन के संचालित हैं। आलम यह है कि अधिकांश जांच घरों में अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों का खून, पेशाब व अन्य जांच की जा रही है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि इसी आधार पर चिकित्सकों द्वारा मरीजों को दवा लिखी जा रही है। अब सवाल उठता है कि जिन मरीजों के खून, पेशाब व अन्य समस्याओं से संबंधित जांच ऐसे पैथोलॉजी लैब में की जाती है।जिसका ना तो विभाग द्वारा निबंधन किया गया है और ना ही उस जांच घर में प्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा जांच की गयी। ऐसी स्थिति में उनके द्वारा दी गयी रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में आता है। इसका खामियाजा बिना निबंधन व अप्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा संचालित जांच घरों में जांच कराने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।जिले में बिना मानक और अवैध रूप से संचालित निजी अस्पतालों के खिलाफ अभियान क्यों नहीं चलाया गया। महकमे के अधिकारी कब सक्रिय होंगे। और मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले अस्पतालों पर छापा मारकर कब कार्रवाई की जाऐगी। खबर प्रकाशित होने के पश्चात विभाग के उच्चधिकारी हॉस्पिटल पर कार्यवाही कर इतिश्री ले लेते हैं।सांठगांठ कर हो रहा मरीजों का शोषण स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण जिले में अवैध पैथोलॉजी धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं लैब संचालकों द्वारा चिकित्सकों से सांठ-गांठ कर मरीजों का शोषण किया जा रहा है। दरअसल प्रावधानों के अनुसार प्रशिक्षित लैब तकनीशियन को ही मरीजों की पैथोलॉजी जांच का अधिकार है। लेकिन, जिले में संचालित अधिकतर पैथोलॉजी लैब में तकनीशियन हैं ही नहीं। अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों की जांच की जाती है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने बढ़ा दी संख्या अवैध पैथोलॉजी लैब के संचालन के पीछे सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थ अमले की मिलीभगत बताई जा रही है। इनके फलने-फूलने के पीछे ऐसे चिकित्सकों की भी कम भूमिका नहीं जो अधिक कमीशन के चक्कर में चिकित्सक इन लैब में अपने मरीजों को जांच के लिए भेज रहे हैं। कई डॉक्टर तो अपने क्लिनिक में ही सैंपल लेकर इन लैब तक पहुंचा रहे हैं।