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(गिरजा शंकर विद्यार्थी)
अंबेडकर नगर। उप निबंधक कार्यालय अकबरपुर में महिला व दलाल से हुई मारपीट के मामले में वीडियो सोशल मीडिया मीडिया में वायरल होने होने के बाद जिला अधिकारी अविनाश सिंह ने संज्ञान में लेते हुए अपर जिला अधिकारी सदानंद गुप्ता उप निबंधक कार्यालय अकबरपुर में जांच करके हकीकत जानने के लिए भेजा गया। एडीएम वित्त एवं राजस्व सदानंद गुप्ता ने रजिस्ट्री दफ्तर में पहुंचने पर हड़कंप मच गया। उप निबंधक कार्यालय में सब रजिस्टार के पद पर चार्ज के रूप में बड़े बाबू अमरनाथ सोनकर मौजूद मिले उप निबंधक कार्यालय में बैठकर पीड़ित महिला से बातचीत की। उपनिबंधक कार्यालय परिसर में मौजूद दस्तावेज लेखक व अधिवक्ताओं से दलालों के संदर्भ में बातचीत कर हकीकत से रुबरु हुए जांच के बाद महिला की तहरीर पर अकबरपुर कोतवाली में एडीएम सदानंद गुप्ता के हस्तक्षेप पर मुन्नू राजभर व एक अन्य आरोपी पप्पू के नाम से विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर कार्रवाई शुरू कर दी गई।
सूत्रों का कहना है कि उप निबंधक कार्यालय में दलालों का इतना वर्चस्व है कि जमीन या मकान की रजिस्ट्री को कराने के लिए बिना दलाल के असंभव हैं।
काश्तकारों का कहना है कि जमीनों की दलाली तो करते ही हैं रजिस्ट्री कराने आए काश्तकारों से रजिस्ट्री में भी जमकर वसूली की जाती है और हर वह अनैतिक कार्य को बखूबी के साथ अंजाम दिया जाता है जो कायदे-कानून के लिहाज से उचित नहीं कहा जा सकता है, यहां सब कुछ दलालों-बिचौलियों के जरिए सुगमता पूर्वक संपन्न करा दिया जाता है जैसे जमीनों में हेराफेरी फर्जी रजिस्ट्री या अन्य काम सब कुछ बड़े ही गोपनीय ढंग से संपन्न करा दिया जाता है। जिसकी लोगों को कानों-कान भनक तक नहीं लगाने पाती है। यहां हर काम के लिए दलाल तैयार हैं। अगर आप अनाड़ी हैं तो ये दलाल निर्धारित शुल्क से दोगुने से भी अधिक वसूलने में देर नहीं लगाते है । वसूली गई धनराशि का बंदरबांट होता है।कहा जाता है कि उपनिबन्धक अकबरपुर भूमि, भवन क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में कर्मचारी से वह गुफ्तगू करते हैं। इसके अलावा स्वजातीय तथा मालदार लोगों को अधिक तवज्जो देते हुए यह भूल जाते हैं। कहने वालों का तो यहाँ तक कहना है कि पैसे की मार से पहाड़ टूटता है, हो सकता है ऐसा हो, हम तो जो कुछ भी लिख रहे हैं वह सुनी-सुनाई और चर्चा के आधार पर ही है।
महिला द्वारा हकीकत जानने के बाद परिसर में भ्रमण कर लोगों से दलालों के बारे में जानकारी भी हांसिल करने का प्रयास किया गया।
अब सवाल यह है कि अपर जिला अधिकारी द्वारा जांच करने के पश्चात क्या रजिस्ट्री दफ्तर दलालों से मुक्त हो पायेगा अथवा रोका जा सकेगा यह अपने आप में यक्ष प्रश्न है?