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(आशा भारती नेटवर्क) अम्बेडकर नगर। जनपद में जहरीली ताड़ी , स्मैक, अफीम, चरस, का करोबार क्षेत्र मझा, टांण्ड , जलालपुर बसखारी, राजेसुलतानपुर, जहांगीरगंज, रामनगर, जनपद के सभी क्षेत्रों में फल फूल रहा है सूत्रों द्वारा मिली बड़ी जानकारी के अनुसार जिले में विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से जहरीली मिलावटी ताड़ी, इसमें एक गाजा, चरस, अफीम, का कारोबार इस समय खूब धूमधाम से चल रहा है। अम्बेडकरनगर नगर में तीन-चार साल पहले बिना डिग्री की शराब बिकने वाले क्षेत्र में बहुत सी घटनाएं हो गई थी खुफिया एजेंसी, पुलिस, इंटेलीजेंस विभाग उस समय कुछ कार्रवाई करते हुए जिले की कुछ सरकारी ताड़ी शराब के बनाने वाले ठिकानों पर छापेमारी करके दूकानों को सीलबंद करते हुए जेल भेजा गया परन्तु आबकारी विभाग के कर्मचारी, अधिकारी के रहमो करम पर फिर उनकी दुकानदारी उसी तर्ज पर आज फिर बखूबी दौड़ रही है। लेकिन आज भी जनपदअम्बेडकरनगर में वह नशीला जहरीला पाउडर कहां से आता है और जिले में कौन सप्लाई करता है यह आज भी रहस्य का विषय ही बना है। आखिर जिले की खुफिया एजेंसी अबतक इसका सुराग क्यों नहीं ढूंढ पाई।यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न खड़ा है। सूत्रों की मानें तो ठेकेदार कहता है कि जो आबकारी विभाग के अधिकारी पकड़ते हैं वही रास्ता दिखाने का भी काम करता है बशर्ते चार्ज बढ़ जाता है। और तो और सैम्पल भी बदलवा कर केस भी हल्का हो जाता है। ऐसी स्थिति में जहां पुलिस महकमा ऐसे लोगों को पकड़ने में सफलता प्राप्त कर लेती है परन्तु नशीला जहरीला पाउडर कब, कहां से आता है यह जानकारी हासिल करने में अभी तक असफल ही रही है। वहीं दूसरी तरफ नवयुवकों को सस्ते दामों में नशीली ताड़ी आसानी से मिलने से युवा समाज का इस तरफ रुझान बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में जहां युवा समाज बर्बाद हो रहा है वहीं दूसरी तरफ ठेकेदार एवं आबकारी विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी मालामाल भी हो रहे हैं क्योंकि साहब की गाड़ी आफिस से निकलते ही जिले के सभी ठेकेदार अलर्ट हो जाते हैं आखिर कैसे।
देखा जाए तो देश की सभी सरकारी दुकानों पर बिकने वाली बस्तुओं का उचित मूल्य होता है परन्तु सरकारी ताड़ी की दूकानों पर बिक्री रेट,माप कहीं नहीं है आखिर क्यों।
तो क्या जिले का प्रशासन, खूफिया तंत्र, इंटेलीजेंस विभाग किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार तो नहीं कर रही।
सस्ती ताड़ी के पियक्कड़ों की मानें तो कहते हैं कि, साहब जो मजा बीस रुपए में मिल जाती है तो सत्तर के पास क्यों जाएं।