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आशा भारती नेटवर्क
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान आफ एक्शन 2023-24 के अनुपालन में श्री राम सुलीन सिंह, माननीय जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार आज दिनांक 19.02.2024 को जिला कारागार, अम्बेडकरनगर में किशोर न्याय विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन एवं निरीक्षण किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में श्री कमलेश कुमार मौर्य, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर, श्री रमेश राम त्रिपाठी, चीफ, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल, जिला करागार अम्बेडकरनगर से श्री गिरिजा शंकर यादव, कारापाल व जिला कारागार के अन्य कर्मचारीगण एवं अल्पव्यस्क बन्दियों व बन्दियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
श्री कमलेश कुमार मौर्य, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा जिला कारागार अम्बेडकरनगर में किशोर न्याय विषय पर बताया कि किशोर न्याय प्रणाली उन बच्चों से सम्बन्धित है जिन्होने किसी प्रकार से कानून का उल्लंघन किया है और जिन्हे देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता है देश में 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को किशोर माना जाता है किशोर न्याय प्रणाली का मुख्य उद्देश्य युवा अपराधियों का पुनर्वास और उन्हें दूसरा अवसर प्रदान करना है। सुरक्षा देने का मुख्य कारण यह है कि बच्चों का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं होता है और उनमें गलत एवं सही की पूरी समझ नहीं होती है यह स्थिति तब भी होती है तब माता-पिता उचित पालन पोषण करने में असमर्थ है और घरों में हिंसा की घटनायें होती है अथवा ऐसे अभिभावक जो लम्बे समय तक अपने बच्चों को अकेला छोड देते हैं।
बाल अधिनियम 1960 के तहत बच्चों के कारावास को प्रतिबंधित किया और देखभाल, कल्याण, प्रशिक्षण, शिक्षा, रखरखाव, सुरक्षा एवं पुनर्वास प्रदान करने की बात की गई। किशोर न्याय अधिनियम 1986 के अंतर्गत किशोरों की सुरक्षा के लिये मानक निर्धारित किये गये। किशोर न्याय अधिनियम 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) के अंतर्गत कानून के साथ विवाद तथा देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता जैसी बेहतर शब्दावली का उपयोग किया गया जिन किशोरों का कानून के साथ टकराव होता है उन्हें किशोरा न्याय बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जाता है और जिन किशोरों को देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है उन्हे बाल कल्याण समिति द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वर्ष 2006 में किशोर अधिनियम में किशोरावस्था को उपराध करने की तिथि से माने जाने के लिये संशोधन किया गया था। किशोर न्याय अधिनियम 2015 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) के अंतर्गत जघन्य अपराधों में शामिल 16-18 आयु वर्ग के किशोरों को वयस्क माना जायेगा, किशोर न्याय प्रणाली को अधिक उत्तरदायी और समाज की बदलती परिस्थितियों के अनुसार बनाया गया है।
शिविर के दौरान अपर जिला जज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा उपस्थित किशोर अपचारियों एवं बंदियों को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार दिनांक 25.01.2024 से किशोर अपचारियों को विधिक सेवायें सहायता प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में “पैन इण्डिया कैम्पेन के सम्बन्ध में भी जानकारी प्रदान की गई। सचिव महोदय द्वारा बताया गया कि इस कैम्पेन का मुख्य उद्देश्य कारागार में निरूद्ध ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना है जो अपराध होने के समय संभावित रूप से नाबालिग थे और ऐसे व्यक्तियों को किशोर होने के दावे के सहायक दस्तावेजों के साथ आवेदन दाखिल करने में विधिक सहायता प्रदान करना है। इस विशेष अभियान के अंतर्गत अब तक जिला कारागार से 18-22 वर्ष की आयु के बन्दियों की सूची मंगा कर उनकी वास्तविक आयु का निर्धारण दस्तावेजों के आधार पर किया गया है एवं यदि कोई बन्दी वास्तविकता में अपराध किये जाने के समय अल्पवयस्क सिद्ध होता है तो उसके किशोर होने के सम्बन्ध में सम्बन्धित न्यायालय पर प्राथना पत्र दिया जायेगा एवं उसे विधिक सहायता प्रदान की जायेगी।
शिविर के उपरान्त अपर जिला जज सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा जिला कारागार एवं जेल लीगल एड क्लीनिक का निरीक्षण किया गया। कारागार के निरीक्षण के दौरान सचिव महोदय द्वारा बन्दियों से बातचीत कर उनकी समस्याओं के विषय में बात की बन्दियों को लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की एवं जेल अधीक्षक जिला कारागार, अम्बेडकरनगर को निर्देशित किया गया कि बन्दियों को उनकी रिहाई के अधिकारों के प्रति जागरूक करें व किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर उचित उपचार दिलाना सुनिश्चित करें, बन्दियों के खान-पान का विशेष ध्यान रखें, महिला बन्दियों के साथ रह रहे बच्चों का ध्यान रखें, जिला कारागार परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें एवं किसी भी प्रकार की विधिक सहायता प्राप्त करने हेतु जिला कारागार अम्बेडकरनगर में स्थापित जेल लीगल एड क्लीनिक में नियुक्त जेल पराविधिक स्वयं सेवक एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर से सम्पर्क स्थापित कर सहायता प्राप्त की जा सकती है।