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उत्तर प्रदेश। सूबे की सरकार में भले अपराधी माफियाओं पर बाबा का बुलडोजर भारी पड़ रहा हो लेकिन इसके विपरीत जनता और सरकार के बीच की मुख्य कड़ी को जोडनें बाले पत्रकारों पर भी जमकर अत्याचार किया जा रहा हैं। ऐसा प्रतीत होता हैं जैसे शासन-प्रशासन और दबंगों अपराधियों का एक मात्र दुश्मन “पत्रकार” ही हो, शायद इसी सोच के कारण यूपी के तमाम जिला तहसील और कस्बा स्तर पर पत्रकारों को कोप का शिकार बना उन्हें तरह तरह यातनाएं दी जा रही हैं और शासन प्रशासन के साथ साथ स्वयं पत्रकार संगठन जानकार मौन साधे हुये हैं। नतीजा एक के बाद एक होते पत्रकारों पर अत्याचार से यूपी कराह उठा हैं। हालांकि इसके लिये शायद ही किसी प्रमाण की आवश्यकता हो अन्यथा पूर्व के पत्रकार उत्पीडन मामलों के साथ साथ ताजा मामले इस बात की स्वयं चीख चीख कर गवाही दे रहे हैं, जिसमें सर्वाधिक मामलों से तो शोशल मीडिया सुर्ख होती जा रही हैं। हालात कुछ ऐसे हैं कि एक पत्रकार प्रताड़ना मामले में कोई ठोस कदम भी नहीं उठाया जाता कि उससे पहले ही दूसरा मामला उभर कर सामने आ जाता हैं। बरहाल पत्रकार पर हुये हमले और प्रताड़ना के ताजा मामलों की बात करें तो अभी जौनपुर में न्यूज़ 1 इंडिया के पत्रकार देवेन्द्र खरे को अज्ञात वाइक सवार बदमाशों ने कार्यालय में घुस कर गोली मार कर गम्भीर रुप से घायल कर दिया, पत्रकार को गम्भीर हालत में हायर सेंटर लखनऊ भेजा गया, बताते हैं पत्रकार की हालात चिंताजनक हैं। गोंडा में फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया के पत्रकार पवन कुमार द्विवेदी के विरुद्ध खबर चलाने पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया, बस्ती में आवास की खबर चलाने पर रास्ते में पत्रकार को घेर कर पीटा, आरोप हैं शिकायत करने गये पत्रकार को थाना लालगंज में थाना प्रभारी द्वारा अभद्रता की गयी और खुद मनमाने तरीके से तहरीर लिखवाकर ले ली। यही नहीं कानपुर, आगरा सहित अन्य कई जनपदों में पत्रकारों के साथ तरह तरह से प्रताड़ना किये जाने के ताजा मामलों से जैसे उत्तर प्रदेश का मीडिया कराह उठा हैं। बाबजूद पीड़ित पत्रकारों का दर्द शासन के साथ स्थानीय प्रशासन और पत्रकार संगठनों को महसूस तक नहीं हो रहा हैं। अब जब जनता और शासन के बीच की प्रमुख कड़ी मानें गये पेरोकारों का ये हाल हैं तो आम जनता का क्या होगा ? इसका स्वयं आकलन किया जा सकता हैं। बरहाल पत्रकारों पर हमले और फर्जी मुकदमों के माध्यम से किये जा रहे उत्पीडन को लेकर मीडिया में भारी आक्रोश पनप गया हैं।
✍🏻गिरजा शंकर विद्यार्थी