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एआरटीओ कार्यालय में दलालों का बोलबाला, बिना रिश्वत दिए यहां नहीं करा सकते कोई भी कार्य
(गिरजा शंकर विद्यार्थी)
अंबेडकरनगर। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी आरटीओ वालों को ‘डकैत’ करार दे चुके हैं। सब जानते हैं फिर भी यह भ्रष्टाचार क्यों नहीं रूक रहा? क्या आपको लगता है कि भ्रष्टाटार कभी खत्म होगा? कार्यालय में खुलेआम एजेंटों का बोलबाला है। अपने आप को आरटीओ एजेंट बताने वाले बिचौलिए वाहनों के रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस जैसे कार्यों के लिए आवेदकों से मोटी रकम वसूल रहे है जबकि आरटीओ कार्यालय का सारा कार्य ऑनलाइन होता है। एआरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में भारी अनियमितता हो रही है। परिवहन विभाग के अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि सरकार और राजस्व की हानि हो रही है। ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के नाम पर एजेंटों के माध्यम से अंधाधुंध अवैध राशि ली जा रही है।जबकि अंबेडकरनगर जनपद के लोगों से लाइसेंस बनाने के एवज में 5 से 6 हजार रुपए तक लिए जाते हैं, लेकिन इस अवैध वसूली से इनकार करते हुए अफसर कहते हैं कि लोगों से निर्धारित शुल्क ही लिया जा रहा है। हकीकत तो यह है कि एआरटीओ दफ्तर में अंबेडकरनगर निवासी कतार में खड़े रहते हैं और बाहर में एजेंटों की फौज बैठी होती है। एआरटीओ दफ्तर में बाबुओं व एजेंटों का बोलबाला रहता है। अधिकारी का रोल न के बराबर होता है। विभाग में सारा कुछ बाबुओं व एजेंटों के हाथों ही हो रहा है। एजेंट एआरटीओ विभाग के बाबुओं के सहारे काम करा रहे हैं।इसकी जानकारी विभाग के अधिकारी को भी रहती है। इसके बावजूद भी किसी तरह की कोई रोक टोक नहीं है और एजेंट बड़े ही आसानी से काम करवा कर लोगों को दे देते हैं। वहीं लोग अगर चाहें कि सीधे विभाग द्वारा लाइसेंस या किसी काम करवा लिया जाए तो उसे नियमों में उलझा दिया जाता है।कहने के लिए अंबेडकरनगर के परिवहन विभाग में सबकुछ आनलाइन है। लेकिन सभी पटल के बाबुओं का अलग से लेनदेन तय है, जिससे उप संभागीय कार्यालय में बिना रुपये दिए कोई कार्य संभव नहीं हो पाता है। एआरटीओ कार्यालय के एक कर्मचारी ने बताया कि महकमे में अवैध रूप से काम करने वाले दलालों के कोड नंबर जारी किए गए हैं। पटल के जिम्मेदार बाबू पत्रावली पर दलालों का कोड नंबर देखकर काम करते हैं। वरना बिना कोड नंबर की फाइल वापस हो जाती है। दलालों की पहचान कोड नंबर से होती है। एआरटीओ कार्यालय में दलालों की लंबी फौज है। अंदर से लेकर बाहर तक इनकी संख्या सैकड़ों में है। यहां तक कि दलालों के बाहर में कार्यालय खुले हैं। एआरटीओ के बाहर 100 मीटर के रेंज में इन्हीं की दुनिया है।आम आदमी लेनदेन में दलालों से पंगा करने पर पिटकर यहां से वापस घर जाता है। इसीलिए यहां लोग दलालों के पंगे से बचते हैं। अंदर के अधिकारी और कर्मचारी आम आदमाी से बात नहीं करते हैं, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।