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मान्यता के अनुसार आशुरा के दिन इमाम हुसैन का कर्बला की लड़ाई में सिर कलम कर दिया था और उनकी याद में इस दिन जुलूस और ताजिया निकालने की रिवायत है। आशुरा के दिन रोजा-नमाज के साथ इस दिन ताजियों अखाडों को दफन या ठंडा कर मातम मनाते हैं। वहीं किछौछा में भी मातमी पर्व मोहर्रम का त्योहार अकीदत और अदब के साथ मनाते हुए अमन और शांति की दुआएं मांगी गई। माहे मोहर्रम की दसवीं तारीख जिसे मुस्लिम समाज योमे आशूरा के रूप में मनाता है, के दिन ही कर्बला के मैदान में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत हुसैन और उनके 72 जांनिसार साथियों ने शहादत पेश कर दीन इस्लाम को बुलंदी बख्शी थी। शरीयत का तहफ्फ़ुज किया था। इससे पूर्व की शाम मस्जिदों में ताजिया रखी गई। जहां लोगों ने इबादत की फातिया किया गया। वहीं लोगों ने लंगर बांटे। इस दौरान देर रात तक लोगों का आने का सिलसिला जारी रहा और हर कोई शांति भाईचारा की दुआएं मांगे। जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते रहे। वहीं सभी थाना क्षेत्रों के स्थानीय बलों को सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।